बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष (Bihar Assembly Building Centenary) का समापन समारोह मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुआ. इस दौरान पीएम ने विधानसभा संग्रहालय भवन और अतिथिशाला का शिलान्यास किया. खास बात यह रही कि इस समापन समारोह के निमंत्रण पत्र में राज्य के राज्यपाल फागू चौहान, सीएम नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव का नाम नदारद रहा. जिसके चलते सत्तारूढ़ जेडीयू और आरजेडी में नाराजगी देखने को मिली.
हालांकि, पीएम मोदी का लोकनायक जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट पर स्वागत करने राज्यपाल और मुख्यमंत्री पहुंचे. समापन समारोह में राज्यपाल, सीएम और नेता प्रतिपक्ष ने पीएम के साथ मंच भी साझा किया. पीएम एक घंटे तक पटना में रहे, इस दौरान पीएम की मौजूदगी में राज्यपाल, सीएम और नेता प्रतिपक्ष ने संबोधन भी किया.
दो पन्नों के इनविटेशन लेटर में गायब रहा राज्यपाल और सीएम का नाम
इनविटेशन लेटर के पहले पन्ने पर बिहार विधानसभा भवन शताब्दी समापन समारोह में पीएम मोदी के निमंत्रण का जिक्र किया गया. हालांकि, कार्ड में बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता की उपस्थिति का कोई जिक्र नहीं किया गया था. वहीं, दूसरे पन्ने पर सुरक्षा प्रोटोकॉल और समारोह के बाद रात के खाने के इंवेटेशन का सारा विवरण दिया गया.
जानिए क्या बोले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरजेडी के एमएलसी और प्रवक्ता नीरज कुमार ने बताया कि निमंत्रण पत्र में क्या लिखना है और किसके नाम होने चाहिए, यह तय करना विधानसभा अध्यक्ष का विवेक है. वहीं, आरजेडी की ही एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राज्यपाल, सीएम और विपक्ष के नेता के नामों को मेंशन करना उचित होता है. वहीं, साल 2005 और 2015 के बीच विधानसभा अध्यक्ष रहे उदय नारायण चौधरी कहते हैं कि सबसे पहले, विधानसभा सचिव को निमंत्रण भेजना चाहिए था. आखिर राज्यपाल, सीएम और विपक्ष के नेता के बिना विधानसभा कैसे पूरी हो सकती है. कार्ड में इनका नाम होना चाहिए था.
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