महाराष्ट्रराज्य

महाराष्ट्र में सियासी संकट पर संवैधानिक लड़ाई जारी, शिंदे गुट ने डिप्टी स्पीकर को हटाने का दिया नोटिस, जानें क्या कहता है विधानसभा का नियम 11

Eknath Shinde Pti

महाराष्ट्र में सियासी उठापटक (Maharashtra Political Crisis) के बीच शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट ने संविधान के अनुच्छेद 179 के तहत महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल (Deputy Speaker Narhari Zirwal) को हटाने का प्रस्ताव पेश करने के लिए एक नोटिस दिया है. इस नोटिस में महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) के नियम 11 का हवाला दिया गया है. नियम के मुताबिक, विधानसभा में कोई भी प्रस्ताव राज्यपाल द्वारा विधानसभा सत्र बुलाने के लिए समन जारी करने के बाद ही पेश किया जा सकता है. अध्यक्ष को हटाने का नोटिस प्राप्त होने के बाद 14 दिन की अग्रिम सूचना देनी होगी और इसके बाद नोटिस को विधानसभा में पढ़ा जाएगा और फिर हटाने की बाकी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. कांग्रेस लीगल सेल के करीबी सूत्र ने इसकी जानकारी दी है.

क्या कहता है महाराष्ट्र विधानसभा का नियम 11?

सूत्र ने कहा है कि अभी तक राज्यपाल ने सत्र बुलाने के लिए समन जारी नहीं किया है, इसलिए शिंदे का पत्र डिप्टी स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव नहीं है, बल्कि यह केवल एक इरादा है. शिंदे ने अपने समर्थन में नेबाम रेबिया मामले (Nebam Rabia Case) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है, लेकिन यह अभी महाराष्ट पर लागू नहीं होता है. इसमें कहा गया, ‘यह एक गलत संदर्भ है क्योंकि उस मामले में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ने तीन नवंबर, 2015 को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए एक समन जारी किया था. अध्यक्ष को हटाने का नोटिस 11 नवंबर, 2015 को दिया गया था.’

हालांकि, इस मामले में राज्यपाल द्वारा विधानसभा बुलाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए अपने फैसले को सही ठहराया था कि अध्यक्ष अयोग्यता पर फैसला नहीं कर सकते, जबकि खुद उनके निष्कासन पर नोटिस लंबित है. नेबाम रेबिया मामले में निर्देश महाराष्ट्र पर तब तक लागू नहीं होते जब तक कि राज्यपाल विधानसभा सत्र नहीं बुलाते हैं.’

सवाल ये भी

ऐसे में सवाल उठता है कि अगर बागी नेताओं के पास संख्या है, तो वे अविश्वास प्रस्ताव की मांग क्यों नहीं कर रहे हैं? राज्यपाल विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए समन क्यों नहीं जारी कर रहे हैं, जो उन्हें करने का अधिकार है? सूत्र ने आगेकहा कि बागी नेता और बीजेपी विधायक नए विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए राज्यपाल से मांग करेंगे, लेकिन यह संभव नहीं है क्योंकि राज्यपाल पहले ही अध्यक्ष पद के चुनाव की अनुमति देने से लिखित रूप से इनकार कर चुके हैं, क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

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