
केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है. कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी को 18 नवंबर 2023 तक विस्तार दिया गया है. 19 नवंबर 2018 में 62 साल के मिश्रा को दो साल की अवधि के लिए ED का निदेशक नियुक्त किया गया था.
बाद में 13 नवंबर 2020 को केंद्र सरकार ने नियुक्ति पत्र में संशोधन किया और उनके दो साल के कार्यकाल को तीन साल कर दिया गया. सरकार पिछले साल एक अध्यादेश लाई थी जिसमें अनुमति दी गई थी कि ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के निदेशकों का कार्यकाल दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. मिश्रा को बाद में एक साल का विस्तार दिया गया और अब एक बार फिर विस्तार दिया गया है.
17 नवंबर को जारी आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने प्रवर्तन निदेशालय में प्रवर्तन निदेशक के रूप में आईआरएस संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को एक साल की अवधि यानी 18.11.2023 तक या अगले आदेश तक, इनमें से जो भी पहले हो, के लिए विस्तार को मंजूरी दे दी है.
ED पर लगते हैं पक्षपात के आरोप
प्रवर्तन निदेशालय केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत कार्य करता है. ईडी पर लगातार आरोप लगते रहते हैं कि वो सरकार के दबाव में काम करती है. विपक्ष आरोप लगाता है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में एजेंसियों का उपयोग सिर्फ विपक्ष के खिलाफ किया जाता है. जहां भी गैर-बीजेपी सरकार होती है, वहां मंत्रियों और नेताओं को निशाना बनाया जाता है. हालांकि सरकार कहती है कि जांच एजेंसियां काम करने के लिए स्वतंत्र हैं और उनके काम में सरकार का कोई दखल नहीं होता है.
BJP नेताओं पर कार्रवाई से बचती हैं एजेंसियां: ममता बनर्जी
16 नवंबर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसियां विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में तत्पर रहती हैं, लेकिन जब बीजेपी के नेता भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं तो उन पर कार्रवाई करने से परहेज करती हैं. बनर्जी की टिप्पणियां स्पष्ट रूप से भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष के संदर्भ में थीं. दरअसल, घोष के फ्लैट के कागजात स्कूल शिक्षा आयोग (एसएससी) घोटाले के एक आरोपी प्रसन्न रॉय के आवास से बरामद हुए हैं.
उन्होंने कहा कि अर्पिता मुखर्जी के आवास से पार्थ चटर्जी के नाम के दस्तावेज मिलने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. वह सही था. कानून अपना काम करेगा. लेकिन जिस भाजपा नेता के फ्लैट के कागजात एक आरोपी के घर से जब्त किए गए थे, उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? ऐसा लगता है कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां तेजी से कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन जब भाजपा नेताओं की बात आती है तो वे इतनी तत्पर नहीं होती हैं. ईडी ने एसएससी भर्ती घोटाले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को जुलाई में गिरफ्तार किया था.
(भाषा इनपुट)
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