अप्रैल से महंगाई की एक और किस्त आपकी जेब से कटने जा रही है. दरअसल सरकार ने शेड्यूल ड्रग्स ( scheduled drugs) की कीमतों में बढ़ोतरी (Price Hike) को हरी झंडी दिखा दी है. इस कदम के बाद अगले महीने से 800 से ज्यादा आवश्यक दवाओं की कीमतों में बढ़त देखने को मिलेगी. एनपीपीए के मुताबिक कीमतों में बढ़ोतरी थोक महंगाई दर (WPI) के आधार पर की गई है. दरअसल, महामारी के बाद से लागत में बढ़ोतरी के बाद फार्मा इंडस्ट्री दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की लगातार मांग कर रही थी. कीमतों में बढ़ोतरी के इस फैसले का असर पेन किलर से लेकर एंटी बायोटिक दवाओं तक पर पड़ेगा.
कितनी बढ़ेंगी दवाओं की कीमतें
एनपीपीए यानी नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी ने शेड्यूल्ड ड्रग्स के लिये कीमतों में 10.7 प्रतिशत की अधिकतम बढ़त को मंजूरी दे दी है. शेड्यूल्ड ड्रग्स आवश्यक दवाओं में आती है और इनकी कीमतों पर नियंत्रण होता है. इनकी कीमतें बिना अनुमति नहीं बढ़ाई जा सकती हैं. देश की आवश्यक दवाओं की लिस्ट में शामिल 800 से ज्यादा दवाओं पर इस फैसले का असर देखने को मिलेगा. इस लिस्ट में पैरासिटामोल, इंफेक्शन के इलाज के लिये जरूरी एजिथ्रोमाइसिन, विटामिन आदि शामिल हैं. इस लिस्ट में ऐसी दवाएं भी शामिल हैं जो कोविड के मध्यम से लेकर गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही हैं. शुक्रवार को जारी एक नोटिस में एनपीपीए ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय के द्वारा मिले थोक महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार दवाओं में 2020 में सालाना बढ़त 10.76607 प्रतिशत होती है. शेड्यूल्ड ड्रग्स की कीमतों में बढ़ोतरी की अनुमति सालाना आधार पर एनपीपीए के द्वारा जारी की जाती है.
दवाओं की लागत में हुई बढ़ोतरी
ईटी ने फार्मा सेक्टर के एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा है कि पिछले 2 साल के दौरान कुछ प्रमुख एपीआई की कीमतें 15 प्रतिशत से 130 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं. paracetamol की कीमतों में 130 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है. वहीं सिरप और ओरल ड्रॉप के साथ कई और दवाओं और मेडिकल एप्लीकेशन में इस्तेमाल होने वाले ग्लिसरीन के दाम 263 प्रतिशत और प्रॉपलीन ग्लाइकोल के दाम 83 प्रतिशत तक बढ़ें हैं. इंटरमीडिएट्स के दाम 11 प्रतिशत से 175 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं. बढ़ती लागत को देखते हुए पिछले साल के अंत में फार्मा सेक्टर ने सरकार से मुलाकात कर कीमतों में बढ़ोतरी को मंजूरी देने की मांग की थी.
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