
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने शनिवार को कहा कि किसान मजबूरी में पराली जला रहे हैं. प्रदूषण के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है. एनएचआरसी ने कहा कि राज्य सरकारों की विफलता के कारण पराली जलाई जा रही है. प्रदूषण के मुद्दे पर दिल्ली और तीन पड़ोसी राज्यों के मुख्य सचिवों का जवाब सुनने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ये बातें कहीं.
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने से चिंतिंत आयोग ने हाल में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों को इस विषय पर चर्चा करने के लिए 10 नवंबर को उसके सामने हाजिर होने को कहा था. वहीं, इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी. आयोग ने इस दौरान संबंधित मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से या डिजिटल तरीके से पेश होने को कहा है.
NHRC hears Chief Secretaries of Delhi, Haryana, Punjab & U.P; holds States responsible not the farmers for continued stubble burning; gives 4 days for specific reports to check air pollution in Delhi-NCR; next hearing in their presence on November 18 pic.twitter.com/JUiW1fxfyo
— ANI (@ANI) November 12, 2022
NHRC ने बताई राज्य सरकारों की विफलता
एनएचआरसी ने शनिवार को एक बयान में कहा कि संबंधित राज्यों एवं दिल्ली सरकार के जवाब पर गौर करने एवं विचार-विमर्श करने के बाद उसकी राय है कि किसान मजबूरी में पराली जला रहे हैं. उसने कहा, ‘राज्य सरकारों को पराली से मुक्ति पाने के लिए कटाई मशीन प्रदान करनी थी, लेकिन वे पर्याप्त संख्या में मशीन उपलब्ध नहीं करवा पाईं और अन्य उपाय नहीं कर सकीं. इसके कारण किसान पराली जलाने के लिए मजबूर हैं एवं प्रदूषण फैल रहा है.’
18 नवंबर को दिल्ली और 3 राज्यों के मुख्य सचिवों की पेशी
आयोग ने कहा, ‘इसलिए कोई भी राज्य किसानों को पराली जलाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता, बल्कि इन चारों सरकारों की विफलता के कारण दिल्ली, पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में पराली जलायी जा रही है एवं हवा में इतना प्रदूषण फैल रहा है.’ आयोग ने संबंधित मुख्य सचिवों को इस मामले पर अगली सुनवाई के दिन 18 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से या डिजिटल तरीके से पेश होने, उसके द्वारा उठाए गए पॉइंट पर चार दिनों के अंदर ही अपना जवाब या हलफनामा दाखिल करने को कहा है ताकि उनपर चर्चा एवं विचार-विमर्श हो.
पंजाब में शनिवार को पराली जलाने की 2467 घटनाएं दर्ज
पंजाब में शनिवार को पराली जलाने की 2,467 घटनाएं हुईं. बठिंडा में सबसे ज्यादा 358 घटनाएं दर्ज की गईं. लुधियाना स्थित पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, इन्हें मिलाकर 15 सितंबर से 12 नवंबर के बीच पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़कर 43,144 हो गई है. आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष इसी अवधि में पराली जलाने की 58,976 घटनाएं दर्ज की गई थीं और इसकी तुलना में यह 27 प्रतिशत कम है.
राज्य ने 2020 में इसी अवधि के दौरान 71,091 ऐसी घटनाओं की सूचना दी थी. आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पराली जलाने की कुल 2,467 घटनाओं में से, बठिंडा में सबसे अधिक 358 घटनाएं दर्ज की गईं. इसके बाद मोगा में 336, मुक्तसर में 256, फाजिल्का में 242, मानसा में 231, फरीदकोट में 200, फिरोजपुर में 186 और बरनाला में 174 घटनाएं दर्ज की गईं. (भाषा से इनपुट के साथ)
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