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Holi 2023 शुभ महूर्त जाने कब और कैसे उसका समय और सामग्री

Holi 2023 Kab Hai Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List: होली का त्योहार पूरे दो दिनों तक चलता है। जिसमें पहले दिन होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है और दूसरे दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलंडी (Dhulandi), धुलेंडी और धूलि भी कहा जाता है।
ये त्योहार हर साल फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय के तौर पर देखा जाता है। होलिका दहन इस साल 7 मार्च को किया जाएगा तो रंगवाली होली 8 मार्च को मनाई जाएगी।

रंगवाली होली चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को खेली जाती है। ये त्योहार बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाते हैं। हरियाणा में इस पर्व को धुलंडी कहा जाता है। होली एक ऐसा त्योहार है जो जीवन के उत्साह, उल्लास और उमंग को बनाए रखने का काम करता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर किसी के लिए होली खास होती है।

होलिका दहन मुहूर्त 2023 (Holika Dahan 2023 Muhurat):
होलिका दहन पर्व फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। ये पूर्णिमा इस बार 6 मार्च की शाम 4 बजकर 17 मिनट से 7 मार्च की शाम 6 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। दरअसल इस बार पूर्णिमा तिथि दोनों ही दिन पड़ रही है जिस वजह से कहीं 6 मार्च को होली जलाई जाएगी तो कहीं 7 मार्च में। जो लोग 6 मार्च को होलिका दहन का पर्व मनाएंगे उनके लिए होली जलाने का शुभ मुहूर्त देर रात 12.40 से 2 बजे तक रहेगा। वहीं जो लोग 7 मार्च को होलिका दहन मनाएंगे उनके लिए शुभ मुहूर्त 7 मार्च की शाम 6 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।

कब है रंगवाली होली (Rangwali Holi Date 2023): होलिका दहन की अगली सुबह रंगवाली होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन 7 मार्च को है तो रंगों का त्योहार होली 8 मार्च को मनाया जाएगा।

क्यों मनाया जाता है होली का त्योहार (What is Holi Festival and Why is it Celebrated): होली का त्योहार प्राचीन समय से ही मनाया जा रहा है। पंचांग अनुसार होली का पर्व नए सवंत की शुरुआत माना जाता है। इस पर्व से जुड़ी कई कहानियां भी काफी प्रचलित हैं। जैसे कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन धरती पर पहले इंसान का जन्म हुआ था। वहीं कुछ के अनुसार इस दिन कामदेव का भी पुनर्जन्म हुआ था। वहीं कुछ का मानना है कि इस दिन भगवान विष्णु के नरसिंह रूप लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। धर्म ग्रंथों अनुसार होली का संबंध भगवान कृष्ण से माना जाता है। इसलिए श्रीकृष्ण जी की नगर मथुरा में इस त्योहार की अलग ही रौनक देखने को मिलती है।

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