परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिए प्रेरित कर रही आशाएं
परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिए प्रेरित कर रही आशाएं
माता बैठक व गृह भृमण द्वारा काउंसलिंग के माध्यम से गर्भवतीयों को करती हैं जागरूक
कासगंज, 9मार्च 2023।
परिवार नियोजन हर देश के विकास के लिए जरुरी हैं, ऐसे में जनपद में परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। जिसमें स्वास्थ्य विभाग की प्रथम पंक्ति की कार्यकर्ता आशा अहम भूमिका निभा रही हैं| ऐसी ही तीन आशा कार्यकर्ता भानवती, मिथलेश, संगमित्रा परिवार नियोजन के क्षेत्र में झंडे गाड़ रही हैं।
वर्ष 2006 से आशा के पद पर कार्यरत किसरोली निवासी आशा भानवती बताती हैं उनके गाँव में गृह प्रसव ही हुआ करते थे, गाँव में परिवार नियोजन साधनों को भी कोई नहीं अपनाता था। माता बैठक व गृह भृमण के दौरान गाँव की महिलाओं को संस्थागत प्रसव व परिवार नियोजन की जानकारी देना शुरू किया। परिवार नियोजन एक ऐसा मुद्दा है, जिसके बारें में लोग खुलकर बात नहीं करते थे| जब उन्होंने यह कार्य शुरू किया तो गाँव के लोगों ने बहुत मज़ाक़ बनाया, लेकिन वह हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करती रहीं| अपने अनुभव को साझा करते हुए वह बताती हैं कि एक बार तो एक महिला अपनी बहु को अस्पताल में प्रसव कराने के लिए राजी नहीं थी, लेकिन जब भानवती संस्थागत प्रसव के फायदे बताए, और बताया कि अस्पताल में प्रसव कराने से सरकार द्वारा प्रोत्साहित राशि दी जाती है। तब जाकर वह राजी हुयीं। उसके बाद बच्चों में तीन साल के अंतर रखने के लिए अस्थायी साधनों के बारे में भी जानकारी दी। और वह प्रसव उपरांत आईसीयूडी लगवाने के लिए भी तैयार हो गयी। भानवती ने बताया वर्ष 2008 से अब तक लगभग 400 महिलाओं को पीपीआईसीयूडी लगवा चुकी हैं, इसके साथ ही 50 महिला व 2 पुरुष नसबन्दी व 25 अंतरा भी लगवाएं हैं। पुरुष नसबन्दी के लिए उन्होंन पुरुषों से बिना झिझक बात की और पुरुष नसबन्दी के फायदे बताए।
लाभार्थी 28 वर्षीय अर्चना बताती हैं कि उन्हें दूसरे बच्चे के बाद परिवार नियोजन का साधन अपनाना था, जब वह दूसरे बच्चे के प्रसव के लिए स्वास्थ्य केंद्र गयी तो आशा भानवती ने उन्हें प्रसव के बाद आईयूसीडी लगवाने के लिए कहा| अर्चना को मन में डर लग रहा था, लेकिन आशा के समझाने पर उन्होंने पीपीआईसीयूडी लगवा लिया।
कासगंज मोहल्ला की आशा संगमित्रा भी परिवार नियोजन के लिए लोगों को लाभार्थियों को जागरूक करने में लगी हुयी हैं| इसी का नतीजा है कि उन्होंने वर्ष 2017 से अब तक 250 पीपीआईसीयूडी, 57 महिला नसबन्दी, 45 अंतरा लगवाएं हैं। वर्ष 2016 से कार्यरत संगमित्रा बताती हैं कि शहरी क्षेत्र का होने के बावजूद भी परिवार नियोजन को लेकर अब भी आमजन खुलकर बात नहीं करते हैं| उन्होंने महिलाओं को प्रेरित किया कि वह खुलकर बात करें, साथ ही परिवार नियोजन काउंसलर की मदद से महिलाओं को परिवार नियोजन की स्थायी और अस्थायी विधियों के बारें में जागरूक किया।
लाभार्थी 32 वर्षीय रीमा पति रामकिशोर बताती हैं कि उनका परिवार पूरा हो चुका था। ऐसे में उन्हें स्थायी साधन अपनाना था, आशा संगमित्रा की मदद से उन्होंने अपनी नसबन्दी करवायी, जिसके लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि भी मिली।
इसी कड़ी में कल्याणपुर की आशा मिथलेश भी परिवार नियोजन के अस्थायी व स्थाई साधन को अपनाने के लिए जागरूक कर रही है|, मिथलेश बताती हैं कि वह परिवार नियोजन गर्भावस्था के दौरान ही महिला को जागरूक करना शुरू कर देती हैं।और इसके लिए वह लाभार्थी महिला से ज्यादा उसकी सास को परिवार नियोजन के फायदे समझाती हैं| इसी के चलते उन्होंने अपने कार्यकाल में 150 पीपीआईसीयूडी, 27 महिला नसबन्दी व 37 अंतरा इंजेक्शन लगवाए हैं।
अब तक अन्तरा इंजेक्शन की पांच डोज लगवा चुकी लाभार्थी निकिता बताती हैं कि उनकी एक बेटी हैं। उन्हें पहले बच्चे के बाद जल्दी बच्चा नहीं चाहिए था, ऐसे में आशा मिथलेश की मदद से उन्होंने अन्तर अस्थायी साधन चुना| और वह इससे संतुष्ट हैं।
परिवार नियोजन नोडल अधिकारी डॉ. मनोज शुक्ला ने बताया कि जनपद में परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु तीनों आशाओं ने अच्छा कार्य किया है। नोडल अधिकारी ने कहा कि इसी तरह आगे भी कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु बेहतर योगदान दें।