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उत्तराखंडलेख

बचा जा सकता है मानव निर्मित आपदा से !

admin
Last updated: फ़रवरी 17, 2025 6:43 अपराह्न
By admin 14 Views
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10 Min Read
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15 फरवरी 2025 की रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 15 लोगों की मौत हो गई, यह बहुत ही दुखद है। मरने वालों में 11 महिलाएं, दो पुरुष और दो बच्चे शामिल बताए जा रहे हैं। हादसे में 15 लोग घायल हो गए, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। दरअसल, प्रयागराज जाने के लिए स्टेशन पर भारी भीड़ जुटी थी। प्रयागराज एक्सप्रेस के कारण प्लेटफार्म नंबर 14 और 15 पर भारी भीड़ थी‌। हाल फिलहाल, रेलवे बोर्ड ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। हादसे के बाद राहत कर्मियों को तैनात कर दिया गया है और एलजी इसकी लगातार निगरानी कर रहे हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अव्यवस्थाओं के चलते और भगदड़ के कारण जान-माल दोनों का ही नुकसान हुआ है।इसी बीच रेलवे ने प्रयागराज महाकुंभ के लिए चार विशेष गाड़ियां भी चलाने की घोषणा कर दी है, इससे भीड़ में कमी देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि ट्रेनों के रद्द होने की अफवाह से भगदड़ मची थी। वास्तव में, यह घटना नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उस समय हुई, जब अचानक प्रयागराज जाने वाली दो ट्रेनों के रद्द होने की अफवाह के बाद यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। बताया जा रहा है कि प्लेटफार्म नंबर 14 और 15, जो एक साथ हैं, के बीच अचानक भारी भीड़ पहुंच गई। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक रविवार को अवकाश होने के कारण शनिवार को प्रयागराज जाने के लिए काफी संख्या में लोग जुट गए। पाठकों को बताता चलूं कि इससे पहले 29 जनवरी को प्रयागराज के महाकुंभ में 40 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 10 फरवरी 2013 को भी कुंभ के दौरान प्रयागराज स्टेशन पर भगदड़ मची थी। जानकारी के अनुसार इस हादसे में 36 लोग मारे गए थे। वास्तव में देश में महाकुंभ एक बड़ा आयोजन है और इसमें भारी संख्या में भीड़ उमड़ रही है। भारत ही नहीं विदेशों तक से महाकुंभ में अनेक लोग आ रहे हैं। अमूमन देश में किसी त्योहार पर भी इतनी भीड़ नहीं उमड़ती है लेकिन इस बार महाकुंभ में भीड़ का सैलाब है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से दिल्ली हादसे को लेकर यह खबरें भी आ रहीं हैं कि गलत अनाउंसमेंट और प्रशासन की लापरवाही इस हादसे का मुख्य कारण बनी। दिल्ली भारत की राजधानी है और अक्सर यहां रेलवे स्टेशन पर काफी भीड़ रहती है। महाकुंभ के कारण पहले से ही यात्रियों की संख्या अधिक थी। ऐसे में भीड़ प्रबंधन की ठोस व्यवस्थाएं की जानी बहुत जरूरी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अचानक प्लेटफॉर्म बदलाव की गलत घोषणा हुई, जिससे यात्रियों में अफरातफरी मच गई और भगदड़ हो गई।शुरुआती जांच में रेलवे प्रशासन और स्टेशन प्रबंधन की गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, गलत घोषणाएं करने वाले अधिकारियों की पहचान की जा रही है। रेलवे और सुरक्षा एजेंसियों की ओर से भीड़ नियंत्रण की योजना की जांच हो रही है। घटना के समय ड्यूटी पर मौजूद अधिकारियों से भी लगातार पूछताछ जारी है। बताया यह भी जा रहा है कि भीड़ को कंट्रोल करने के लिए प्लेटफॉर्म 14 और 15 की एक-एक सीढ़ी बंद कर दी गई थी। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह से अचानक रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची हो। इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं। 29 सितंबर 2017 को मुंबई के एलफिंस्टन रोड रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज पर भगदड़ मच गई थी और इस भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई थी औ 39 अन्य यात्री घायल हो गए थे। दरअसल ,यह हादसा पुल गिरने की अफवाह के कारण हुआ था। इसी प्रकार से महाराष्ट्र के मुंबई में बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी, जिससे भगदड़ में 9 यात्री घायल हो गए थे। इतना ही नहीं,
10 फरवरी 2013 को कुंभ मेले के दौरान उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर अचानक मची भगदड़ में भी 32 लोगों की मौत हो गई थी। इसी प्रकार से वर्ष 2007 में भी मुगल सराय जंक्शन भगदड़ में 14 महिलाओं की मौत हो गई थी।वहीं इस घटना में 40 से अधिक यात्री घायल हो गए थे। वास्तव में,भगदड़ भीड़ प्रबंधन की असफलता या अभाव की स्थिति में पैदा हुई मानव निर्मित आपदा है। अक्सर भगदड़ किसी अफवाह के कारण पैदा होती है और भगदड़ में लोग दिशाहीन होकर इधर-उधर भागने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दम घुटने व कुचलने से चोटिल होने एवं मृत्यु की घटनाएँ होती हैं। अक्सर भगदड़ मचने के पीछे जो कारण निहित होते हैं उनमें क्रमशः मनोरंजन कार्यक्रम,एस्केलेटर और मूविंग वॉकवे, खाद्य वितरण, जुलूस, प्राकृतिक आपदाएँ, धार्मिक आयोजन, धार्मिक/अन्य आयोजनों के दौरान आग लगने की घटनाएँ, दंगे, खेल आयोजन, मौसम संबंधी घटनाएँ आदि शामिल होते हैं। बैरिकेड्स, अवरोध, अस्थायी पुल, अस्थायी संरचनाएँ और पुल की रेलिंग का गिरना, दुर्गम क्षेत्र (पहाड़ियों की चोटी पर स्थित धार्मिक स्थल जहाँ पहुँचना मुश्किल है), फिसलन युक्त या कीचड़ युक्त मार्ग, संकरी गलियाँ एवं संकरी सीढ़ियाँ, खराब सुरक्षा रेलिंग, कम रोशनी वाली सीढ़ियाँ, बिना खिड़की वाली संरचना, संकीर्ण एवं बहुत कम प्रवेश या निकास स्थान, आपातकालीन निकास का अभाव भी बहुत बार भगदड़ के कारण बन सकते हैं। अप्रभावी भीड़ प्रबंधन तो भगदड़ मचने का कारण है ही। बहुत बार यह देखा जाता है कि किसी एक प्रमुख निकास मार्ग पर ही लोगों की निर्भरता होती है ,जो भगदड़ का कारण बन जाती है। आज अक्सर यह भी देखने को मिलता है कि किसी कार्यक्रम विशेष के लिए क्षमता से अधिक लोगों को अनुमति दे दी जाती है। बहुत से स्थानों पर उचित सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का भी अभाव होता है, जिससे सूचना देने में दिक्कत आती है। भीड़ अनेक बार गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार अपनाती है और सुरक्षा नियमों का ठीक से पालन नहीं करती है। आग या बिजली का प्रसार भी अनेक बार भगदड़ मचने का कारण बन सकता है। इसलिए सुरक्षा और निगरानी के उपाय पुख्ता होने चाहिए। सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति से पूर्व रिहर्सल प्रैक्टिस भी की जानी चाहिए ताकि भगदड़ आदि के समय सुरक्षा उपायों को तुरंत किया जा सके। सीसीटीवी, आधुनिक तकनीक को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।पुलिस प्रशासन, अग्निशमन सेवा, चिकित्सा सेवा एजेंसियों और आयोजक प्रबंधन के बीच समन्वय होना भी बहुत ही जरूरी और आवश्यक है। संचार व्यवस्थाएं भी अच्छी और सुदृढ़ होनी चाहिए। भगदड़ से बचने के लिए भगदड़ वाले स्थानों पर आगमन एवं निकास की समुचित व्यवस्था (पुरूष एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग) यथा बैरिकेडिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।चिकित्सा दल एवं एम्बुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था, बिजली के तारों एवं उपकरणों में सुरक्षा के पूर्ण उपायों की व्यवस्था, पार्किंग की समुचित एवं सुचारू व्यवस्था, नियंत्रण कक्ष, पर्याप्त रौशनी,वाॅच टावर की व्यवस्था होनी चाहिए। इतना ही नहीं

उपहार, भोजन, प्रसाद, कबंल आदि मुफत वितरण के दौरान भगदड़ रोकने की व्यवस्था की जाए एवं अधिक भीड़ होने पर सामग्री के विवरण पर प्रतिबंध लगाने हेतु आयोजकों केा पर्याप्त निर्देश दिए जाने चाहिए। किसी भी स्थान पर अनावश्यक रूप से एक स्थान पर भीड़ नहीं लगानी चाहिए।छोटे बच्चों, महिलाओं, बीमारों या वृद्वों को मेले में ले जाते समय उनकी जेब में (या गले में लाॅकेट की तरह) घर का पता और फोन नम्बर साथ रखा जाना चाहिए।भगदड़ के समय संयम पूर्ण व्यवहार करना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए।किसी भी आपात स्थिति में तत्काल नियंत्रण कक्ष में संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।भीड़ वाले स्थान पर किसी भी प्रकार के पटाखे/ज्वलनशील पदार्थ नहीं ले जाना चाहिए तथा ध्रूमपान नहीं करना चाहिए।प्रशासन की ओर से की जाने वाली घोषणाओं को ध्यान से सुनना चाहिए और उसके अनुसार व्यवहार करना चाहिए।

सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।

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