महिलाराष्ट्रीय

देश की पहली महिला स्काईडाइवर की कहानी, अब पूरी दुनिया जानेगी

Rachel Thomas, who achieved the feat of becoming India's first woman skydiver at the age of 24, is an inspiration for women sportspersons.

24 साल की उम्र में भारत की पहली महिला स्काइडाइवर बनने की उपलब्धि हासिल करने वाली रेचल थॉमस महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा हैं।

भारत की महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में इतिहास रच दिया है। शेफाली वर्मा की कप्तानी वाली इस टीम ने दक्षिण अफ्रीका में खेले गए आईसीसी अंडर-19 विश्व कप में जीत हासिल की और महिला वर्ग में भारत को पहला विश्व कप दिलाया। आज के समय में भारत में महिलाएं हर खेल में आगे बढ़ रही हैं और रेचल थॉमस इन सभी के लिए रोल मॉडल हैं। भारतीय खेल लगातार नए कौशल और आत्मविश्वास हासिल कर रहे हैं। चाहे जमीन पर खेला जाने वाला खेल हो या स्काईडाइविंग, बेहद रोमांचकारी और रोमांच से भरा साहसिक खेल, सभी में महिलाएं अपना बेहतरीन हुनर दिखा रही हैं।

ऐसी ही एक साहसी और आत्मविश्वास से भरी स्काईडाइविंग खिलाड़ी रेचल थॉमस हैं। आज उनकी आत्मकथा लिमिटलेस का विमोचन किया गया जो आने वाले खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक होगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री और एयरो क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजीव प्रताप रूडी ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित देश की पहली महिला स्काईडाइवर रेलच थॉमस की आत्मकथा के विमोचन समारोह में भाग लिया।

रेचल एक प्रेरणा है
रूडी ने कहा कि 24 साल की उम्र में अपने दोनों बच्चों को मां का प्यार देते हुए यह उपलब्धि हासिल करने वाली रेचल थॉमस महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा हैं। आपको बता दें कि 20 अप्रैल 1979 को थॉमस भारत की पहली महिला स्काईडाइवर बनीं, जिन्होंने आगरा में स्काईडाइविंग फेडरेशन ऑफ इंडिया से ए लाइसेंस मिलने के बाद अपने करियर की शुरुआत की थी। वह सिर्फ 24 साल की थीं और दो बच्चों की मां थीं जब उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एयरो क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजीव प्रताप रूडी ने रेचल थॉमस के साहस और जज्बे की सराहना करते हुए कहा कि पद्मश्री रेचल थॉमस ने ऐसे समय में आसमान में कलाबाजी का प्रदर्शन किया जब कोई इस खेल के बारे में सोच भी नहीं सकता था। दिखाई। राजीव प्रताप रूडी एयरो क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष होने के साथ-साथ एक वाणिज्यिक लाइसेंस प्राप्त पायलट भी हैं।

सफर आसान नहीं रहा
कार्यक्रम में मौजूद पद्मश्री रेचल थॉमस ने स्काईडाइविंग के प्रति अपने जुनून पर चर्चा करते हुए अपने रास्ते में आने वाली मुश्किलों के बारे में बात की और बताया कि कैसे वह तमाम मुश्किलों को पार करते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचीं। उनकी मंजिल देश की पहली महिला स्काईडाइवर बनने की थी और अपना मुकाम हासिल करने के बाद ही उनकी मौत हो गई।

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