उपचुनाव: सपा-कांग्रेस साथ-साथ ,लेकिन सीट बंटवारे पर संशय बरकरार
उपचुनाव: सपा-कांग्रेस साथ-साथ ,लेकिन सीट बंटवारे पर संशय बरकरार
अजय कुमार, लखनऊ
लखनऊ। समाजावदी पार्टी के लिये यह अच्छी खबर है कि हरियाणा-महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों और उत्तर प्रदेश में होने वाले उप विधान सभा चुनाव में भी सपा-कांग्रेस का गठबंधन बरकरार रहेगा।इससे जहां यूपी में कांगे्रस को तो अन्य राज्यों में समाजवादी पार्टी को अपना विस्तार करने का मौका मिलेगा,इससे सपा को सबसे बड़ा यह हो सकता है कि उसको क्षेत्रीय की जगह राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाये। इस रणनीति के साथ राहुल-अखिलेश आगे बढ़ रहे हैं।अबकी से दोनों दलों का आलाकमान काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। इसी लिये यह भी तय किया गया है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से गठबंधन पर बात करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ही अधिकृत होंगे,ताकि हाल में सम्पन्न मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसी तल्खी दोनों दलों के बीच दोबारा न पैदा हो।वैसे यह स्वभाविक भी था। क्योंकि इससे फायदा दोनों ही दलों को मिलेगा।
गौरतलब हो, कांगे्रस नेता और सांसद राहुल गांधी ने हाल ही में कहा भी था कि यूपी के दो लड़के हिन्दुस्तान की राजनीति को मोहब्बत की दुकान बनांएगे- खटाखट-खटाखट। इस बात को स्पष्ट संकेत माना जा रहा था कि कांग्र्रेस अन्य राज्यों के चुनाव में सपा को साथ रखने की इच्छुक है। अखिलेश की पीडीए रणनीति यूपी लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई है। इस पीडीए रणनीति का विस्तार अब अन्य राज्यों में भी करने की सोच के साथ आगे बढ़ा जा रहा है।
बता दें इस साल अक्टूबर में महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव होने हैं।वहीं अगले साल की शुरूआत में दिल्ली और उसके बाद अक्टूबर-नवंबर 2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने है। सपा महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा सीटों के लिए अपना दावा की कर रही है। महाराष्ट्र में पिछले चुनाव में उसके दो विधायक जीते थे। हरियाणा में भी करीब 20 सीटों पर मुस्लिम और यादव समीकरण प्रभावी है। सपा नेतृत्व चाहता है कि अन्य राज्यों में उसकी हिस्सेदारी बढ़े, ताकि उसे राज्य पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके।
बात उत्तर प्रदेश की कि जाये तो यहां 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है, जिसमें 9 सीटें यहां के विधायकों के लोकसभा सांसद चुने जाने के चलते खाली हुए हैं तो कानपुर की सीसामऊ सीट विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता जाने से रिक्त हुई है। कांग्रेस पश्चिम यूपी के साथ-साथ पूर्वांचल के इलाके की सीटों पर उपचुनाव लड़ने का प्लान बनाया है। यूपी की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव है, उसमें करहल, मीरापुर, खैर, फूलपुर, मझवा, कुंदरकी, गाजियाबाद, कटेहरी, मिल्कीपुर और सीसामऊ सीट है। इनमें से 5 विधानसभा सीटें सपा कोटे की खाली हुई हैं तो 3 सीटें बीजेपी की रिक्त हुई हैं। इसके अलावा एक सीट आरएलडी और एक सीट निषाद पार्टी की है। यह उपचुनाव एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए काफी अहमियत रखता है। ऐसे में दोनों ही गठबंधन एक-दूसरे की सीटें कब्जा करने की कोशिश में है, लेकिन उससे पहले सीट बंटवारा भी कम अहम नहीं है।
खैर, सीटों के बंटवारे की बात कि जाये तो कांग्रेस भ् उपचुनाव में सपा से पांच सीटें मांग रही है, कितनी सीटों पर समझौता होता है यह तो दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व की बैठक में ही तय होगा. कांग्रेस की ओर से यूपी की 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में लगातार दावेदारी की जा रही है। माना जा रहा है कि सपा उपचुनाव में कांग्रेस को गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर सीट दे सकती है, लेकिन यूपी कांग्रेस ने उप-चुनाव के लिए पांच सीटों का चयन किया है। फूलपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, अलीगढ़ की खैर, मिर्जापुर की मझवा और गाजियाबाद सीट है। कांग्रेस के अंदुरूनी सूत्रों का कहना है कि वह सपा की 2022 में जीती हुई विधानसभा सीटों पर हम दावा नहीं कर रहे हैं बल्कि बीजेपी और एनडीए के कब्जे वाली सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों ने साफ कहा कि गाजियाबाद और पश्चिमी यूपी में मीरापुर और खैर सीट पर उपचुनाव लड़ने की तैयारी पार्टी कर रही है। पूर्वांचल की फूलपुर और मझवा सीट को लेकर कांग्रेस ने प्लानिंग की है. कांग्रेस पूर्वांचल और पश्चिमी दोनों ही इलाके की सीटों पर उपचुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है.
बता दें प्रयागराज की फूलपुर सीट बीजेपी के विधायक प्रवीण पटेल के फूलपुर से सांसद चुने जाने के चलते खाली हुई है. इसी प्रकार अलीगढ़ की खैर सीट अनूप प्रधान वाल्मीकि के हाथरस से सांसद चुनने के बाद खाली हुई हैं। गाजियाबाद सीट से बीजेपी विधायक डॉ. अतुल गर्ग गाजियाबाद से सांसद बने हैं। निषाद पार्टी के मिर्जापुर के मझवां से विधायक डॉ. विनोद कुमार बिंद अब भदोही बनने के चलते खाली हुई है। आरएलडी के मीरापुर के विधायक चंदन चौहान बिजनौर से सांसद बन गए हैं।
राजनीति के जानकार कहते हैं कि इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा चुनाव की तर्ज पर विधान सभा उपचुनाव में भी आपसी समन्वय बनाकर अच्छा प्रदर्शन करके 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने गठबंधन को और मजबूत करने का मौका है, लेकिन कांग्रेस के मन के मुताबिक सपा सीट देने के मूड में नहीं है। सपा यूपी में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें देने को लेकर एक अलग रणनीति पर काम करती दिख रही है। सपा जो सीटें कांगे्रस को देने को तैयार है उसमें एक सीट अलीगढ़ की खैर और दूसरी गाजियाबाद सीट है। इसके अलावा सपा पूर्वांचल की एक भी सीट नहीं दे रही है।