दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं. राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 3 दिन की रिमांड पर सीबीआई को सौंप दिया है. यह सबकुछ तब हुआ जब ईडी से जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू ही होने वाली थी।
अब सवाल है कि क्या केजरीवाल जल्द जेल से बाहर आ पाएंगे? एक्सपर्ट का मानना है कि उनकी जमानत की राह में 5 बड़े रोड़े हैं. CBI को रिमांड मिलने के बाद काफी कुछ बदल गया है. अब उन्हें फिर से शुरू से अपनी जमानत की कोशिश करनी होगी. यही मुश्किल उनके लिए सबसे ज्यादा है. इसीलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका भी वापस ले ली, ताकि दूसरे बेस पर दायर कर सकें।
पहले जानिए कि सीबीआई की गिरफ्तारी का मतलब क्या है? सीबीआई की जांच ईडी की जांच से अलग कैसे है? दरअसल, ईडी किसी मामले में हुए धन के लेनदेन की जांच करती है, जबकि सीबीआई लोकसेवकों के भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने के मामले की जांच करती है. जब मार्च में मनी लॉन्ड्रिंंग के आरोप में ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था, तब आरोप लगाया था कि उन्होंने गलत तरीके से पैसा लिया और उसका उपयोग किया. पीएमएलए एक्ट की धारा-3 के तहत यह एक अपराध है।
उधर, सीबीआई ने 2022 में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. हालांकि, तब इसमें केजरीवाल को आरोपी नहीं बनाया था. मार्च में जब ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया, तब तिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने कोर्ट को बताया था कि पीएमएलए के तहत आरोपी बनने के लिए किसी को विशेष अपराध में शामिल होना जरूरी नहीं है। क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग खुद एक बड़ा अपराध है. इसके बाद अप्रैल में सीबीआई ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया. तब उनके वकीलों ने अदालत में कहा कि वे गवाह हैं, आरोपी नहीं. अभी भी भ्रष्टाचार के इस मामले में केजरीवाल को आरोपी नहीं बनाया गया है।
अब सवाल कि केजरीवाल जब आरोपी नहीं तो गिरफ्तार क्यों किए गए? दरअसल, ईडी ने शराब घोटाले में कथित लेनदेन को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी की हैसियत से केजरीवाल पर आरोप लगाया था। हाईकोर्ट में भी ईडी ने कहा था कि केजरीवाल 2 तरह से दोषी हैं. पहला, आम आदमी पार्टी के मुखिया के तौर पर, जिसने रिश्वत से मिले पैसों का चुनाव में इस्तेमाल किया और दूसरा, पर्सनल कैपिसिटी में, क्योंकि उन्होंने 2 करोड़ रुपये मांगे।
अब पैसे केजरीवाल तक कैसे पहुंचे, सीबीआई इसी लिंक के बारे में केजरीवाल से पूछताछ करना चाहती, उनसे विश्वसनीय सबूत इकट्ठा करना चाहती है।
CBI के मामले में भी जमानत लेने के लिए केजरीवाल को एक बार फिर निचली अदालत जाना होगा।
अगर निचली अदालत ने उन्हें जमानत दे दी या नहीं दी, दोनों मामलों में दूसरा पक्ष हाईकोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट जाएगा।
अगर सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को CBI के मामले में जमानत मिल गई तो भी वे जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे.
क्योंकि ईडी के केस में अभी उनको जमानत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के जमानत पर स्टे लगा रखा है।
सीबीआई की दलीलों से साफ है कि वे मामले में क्रिमिनल कांस्परेसी का केस बना सकते हैं, जिसका मुकाबला आसान नहीं होगा।