रचनात्मक सोच
रचनात्मक सोच
रचनात्मक सोच आदमी को ऊपर उठाती हैं । मस्तिष्क में विचारों का बोझ यदि ज्यादा रक्खोगे तो इस जीवन की यात्रा में बहुत जल्दी थकेंगे । दिमाग को हल्का रखता है वह इस यात्रा में जल्दी नहीं थकता है । दिमाग को रचनात्मक व सकारात्मक विचारों से ओतप्रोत रखिये ।वरना खा्ली दिमाग में घास फूस की तरह फालतू विचारों की भीड़ से अनावश्यक हलचल मच जाती है ।अतः सतर्क रहें और दिमाग को शांत रखने की कोशिश करते रहें। अपनी हर सांस के मूल्य का अंकन करना जरूरी है क्योंकि एक सांस व दूसरे सांस के बीच में ना ज्यादा दूरी है । इन सीमित सांसों का सही उपयोग भी तो एक कला है । यही तो इस जीवन को जीने का एक सही सिलसिला है । चिंता, ईष्या, भय व घृणा में इसे हमें बर्बाद नहीं करना है । हर पल रचनात्मक कार्यों से इस जीवन को हमें भरना है । सकारात्मक चिंतन ही इस जीवन का सम्यक व सही सार है ।सही चिंतन से सुशोभित करना ही तो इसका असली श्रृंगार है। वक़्त लम्हो की बाँहें थामे सरक रहा हैं । हर बीता हुआ पल विकास का परिचय दे रहा हैं ।हम प्रगति के हर मुक़ाम पर जागरण की मशाल लिए एक मिसाल बन कर निखरे । अपने आज में शांति से दो पल सुस्ताए,ख़ुद को हम टंटोले ,ग़लत सही को सोचे । कँटीली झाड़ियों से छन-छन कर आती धूप व सूर्य की किरणो की आलोक रश्मियाँ इस छोटी सी (मानव भव ) ज़िंदगी मे आध्यात्मिक-समाजिक-रचनात्मक संकल्प,सुदृढ़ करे निश्चय के आलोक से आलोकित हर कार्य आज करे।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )