उत्तर प्रदेश के देवबंद में इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम में कुलहिंद राब्ता-ए-मदारिस इस्लामिया के राष्ट्रीय सम्मेलन में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि दीनी मदारिस किसी भी बोर्ड से नहीं जुड़ेंगे और न ही उन्हें किसी सरकारी मदद की जरूरत है। कहा कि दुनिया का कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के मकसद को नहीं समझ सकता।
हालात और सरकारें बदलती रहती हैं: मदनी
मौलाना अरशद मदनी ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा की आज अमन का पैगाम देने वाले इदारे दारुल उलूम के निर्माण कार्यों पर पाबंदियां लगाई जा रही है। जबकि इससे पहले निर्माण की एक ईंट लगाने के लिए भी किसी की इजाजत नहीं लेनी पड़ी। क्योंकि कांग्रेस के बूढ़े जानते थे दारुल उलूम की देश की आजादी में क्या भूमिका है। लेकिन याद रखा जाना चाहिए कि हालात और सरकारें बदलती रहती है।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि बहुत से लोग देश के करोड़ों अरबों रुपये लेकर फरार हो गए हैं। लेकिन हम देश के साथ खड़े हैं। कौन किसे वोट देता है या नहीं देता इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है।
वर्ष 2008 में आतंकवाद के खिलाफ की थी कांफ्रेंस
कुलहिंद राब्ता-ए-मदारिस के बैनर तले देवबंद में वर्ष 2008 के फरवरी माह में आतंकवाद विरोधी कांफ्रेंस आयोजित की गई थी। जिसमें देशभर के करीब 20 हजार उलमा ने शिरकत की थी। इसी कांफ्रेंस में आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी किया गया था। जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना था। यह संगठन की स्थापना के बाद से सबसे बड़ा कार्यक्रम था।
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