राष्ट्रीय

हिंदी को लेकर अमित शाह के बयान पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने जताया विरोध

Pinarayi Vijayan

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के हिंदी (Hindi) को लेकर दिए गए बयान पर उपजे विवाद के बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने शनिवार को कहा कि हिंदी को थोपने के कदम को स्वीकार नहीं किया जाएगा. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 23वें सम्मेलन के तहत केंद्र-राज्य संबंधों पर आयोजित एक सेमिनार में विजयन ने कहा कि भारत को विविधता में एकता के लिए जाना जाता है और संघ परिवार का एजेंडा इस विविधता को मान्यता नहीं देता. संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय लिया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित तौर पर हिंदी का महत्व बढ़ेगा.

विजयन ने कहा कि भारत ऐसा देश है जिसे विविधता में एकता के लिए जाना जाता है. इस विचार का अर्थ है विविधता को स्वीकार करना. हमारे संविधान ने भी भारत की कई भाषाओं को महत्व दिया है. अधिकतर राज्य लंबे संघर्ष के बाद भाषा के आधार पर बने थे. संघ परिवार का एजेंडा देश की विविधता और संघीय ढांचे को स्वीकार नहीं करता है. क्षेत्रीय भाषाओं को कमजोर करना उनके एजेंडे का हिस्सा है.

हर समाज की संस्कृति और जीवन का आधार हैं भाषाएं- पिनराई विजयन

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाषाएं हर समाज की संस्कृति और जीवन का आधार हैं और अगर भाषा की हत्या कर दी जाएगी तो ये विविधता नष्ट हो जाएगी. विजयन ने कहा कि इस तरह के कदम देश में खतरनाक स्थिति को जन्म देंगे. हिंदी का राष्ट्रीय आंदोलन के एक भाग के तौर पर इस्तेमाल किया गया था और इसी समझ से इसे राष्ट्रीय स्तर की भाषा के रूप में माना गया और यही कारण है कि हमने केरल में त्रि भाषा पाठ्यक्रम को लागू किया. हालांकि हिंदी को थोप क्षेत्रीय भाषाओं को नष्ट करने को स्वीकार नहीं किया जाएगा. ये देश की एकता और अखंडता को नकुसान पहुंचाएगा. केरल के स्कूलों में मलयालम, हिंदी और अंग्रेजी भाषा के साथ त्रि भाषा पाठ्यक्रमों को लागू किया गया है.

वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हिंदी पर दिए गए बयान पर भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी अन्नाद्रमुक समेत दक्षिण भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों का विरोध का रुख शनिवार को भी जारी रहा. तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने कहा कि भाषा को थोपा नहीं जा सकता. पनीरसेल्वम ने कहा कि लोग अपनी मर्जी से हिंदी सीख सकते हैं, लेकिन हिंदी को थोपा जाना अस्वीकार्य है.

कलप्रिट तहलका (राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक) भारत/उप्र सरकार से मान्यता प्राप्त वर्ष 2002 से प्रकाशित। आप सभी के सहयोग से अब वेब माध्यम से आपके सामने उपस्थित है।
समाचार,विज्ञापन,लेख व हमसे जुड़ने के लिए संम्पर्क करें।

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Back to top button