बहुचर्चित सीएचओ बरखा के उत्पीड़न की जांच रिपोर्ट पर डीएम एटा ने दिए सीएमओ को री-ज्वाइनिंग कराने के आदेश..!
बहुचर्चित सीएचओ बरखा के उत्पीड़न की जांच रिपोर्ट पर डीएम एटा ने दिए सीएमओ को री-ज्वाइनिंग कराने के आदेश..!
सी एम ओ द्वारा आदेश पर टाल मटोल रवैए से डीएम हुए खफा बोले आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो होगी सी एम ओ के विरुद्ध कठोर कार्यवाही।
उत्पीड़ित सी एच ओ ने कहा री ज्वाइनिंग संबंधी कोई लिखित पत्र नही मिला उल्टे सी डी ओ कार्यालय में जांच के लिए भेजा गया है नोटिस”
एटा। जुलाई माह में महिला सी एच ओ के उत्पीड़न के मामले में विगत दिनों नया मोड़ उस समय आया जब प्रशाधनिक स्तर पर एस डी एम की अध्यक्षता में तथ्यों के आधार पर जांच रिपोर्ट उप जिलाधिकारी सुश्री भावना ने जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह को सौप दी।
तथ्य परक उक्त रिपोर्ट की रौशनी में डीएम एटा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी उमेश कुमार त्रिपाठी को बरखा को पुनः योगदान कराए जाने के आदेश पारित कर दिए परन्तु आदेश के अनुपालन होता नही दिखाई दे रहा है।
*आदेश को धता देती सीएमओ की कोशिशें*
एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी पीड़ित सी एच ओ को कोई ज्वाइनिंग संबंधी विभागीय पत्र जारी नही किया गया है। बरखा ने इस संवाददाता को बताया है उसे इस संबंध में कोई लिखित या मौखिक सूचना नही मिली हैं अपितु मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में किसी जांच समिति में उपस्थित होने की व्हाट्स एप पत्र सेंड किए जा रहे जबकि उक्त जांच से संबंधित कोई पत्रावली नही भेजी जा रही आखिर जांच किस पत्रावली पर हो रही। उक्त जांच समिति में जब सी एम ओ सदस्य नही तो मुख्य विकास अधिकारी के अधिकार का पत्र व्यवहार सी एम ओ अपने कार्यालय और हस्ताक्षरों से क्यों कर रहे है ? मुख्य जांच अधिकारी एस डी एम सदर अपनी रिपोर्ट डीएम प्रेम रंजन सिंह को पहले ही सौप चुकी है।ऐसे में यह नई तरह की जांच का झोल क्यों पैदा किया जा रहा है।
*डीएम का दो टूक जबाब*
इस मामले में जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह से इस संवाददाता द्वारा पूछा गया तो उन्होंने दो टूक कहा है एस डी एम की तथ्य परक जांच के प्रकाश में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आदेश किए गए हैं यदि आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित नही हुआ और कोई टाल मटोल की गई तो सी एम ओ के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी।
इधर सूत्र बता रहे है ईर्ष्यालु प्रवृति के सी एम ओ डीएम के आदेश को धता देने की गरज से दूसरी समांतर जांच करा रहे जिसे सी डी ओ के माध्यम से अलीगंज के उप जिलाधकारो को इंबॉल्ब करके कराया का रहा है। जबकि अनुसूचित जाति की पीड़िता होने के कारण यह जांच सुश्री भावना विमल से कराई गई जिसकी रिपोर्ट कंप्लीट होकर एक्शन मोड़ में जिलाधिकारी के आदेश के रूप में प्रचलित कर दी गई है फिर दूसरी जांच का क्या औचित्य है ?
*पीड़ित अनुसूचित जाति कर्मी की न्याय की सांस है अभी धुंधली*
स्मरण रहे सुश्री बरखा आयुष्मान आरोग्य मंदिर योजना कमान में सी एच ओ पद पर कार्यरत है। जिनका आरोप है मुख्य चिकत्सा अधिकारी सहित विभागीय कर्मियों शर्मनाक हद तक उत्पीड़न किया
तीन तीन पेज की शिकायत/ ऑडियो करो करते हुए उन्होंने कार्यवाही की मांग की थी।दस जुलाई और तेईस जुलाई को दिए प्रार्थना पत्रों को आधार बना कर नो बिंदुओं तथ्य के रूप में रख कर डीएम ने जांच करवाई जिस पर पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय को सौप दी गई है परन्तु अभी तक सी एम ओ ने आदेश के अनुपालन की दिशा में पीड़िता को कोई पत्र निर्गत नही किया है। दूसरी जांच बाला बाला करा कर मामले को और उलझाना चाह रहे है।
अब देखना सी एम ओ की “तू डाल डाल मैं पात पात” की चतुर नीति सफल होती है या युवा आई ए एस के स्टेट फारवर्ड निष्पक्ष आदेश यह निकट भविष्य में देखने की बात होगी।