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हिस्सा मांगने पर खुला 17 साल पुरानी हत्या का राज

उत्तर प्रदेश वर्ष 2006 में आगरा में भिखारी को कार में जिंदा जलाकर मारने के बाद पारसौल गांव के अनिल मलिक के मौत का स्वांग रचने का मामला पैतृक संपत्ति में हिस्सा मांगने पर खुला है। आरोप है कि अनिल मलिक (42) का पिता और वारदात का मास्टर माइंड विजयपाल मलिक (65) 1977 में भाइयों से अपने हिस्से के रुपये लेकर गांव छोड़कर चला गया।
मगर बरसों बाद आखिर राज खुल ही गया। इस मामले में अभी गुजरात की अहमदाबाद पुलिस ने धोखाधड़ी आदि की धारा में केस दर्ज कर जांच शुरू की है। आगरा पुलिस भी इस मामले में जल्द कार्रवाई शुरू कर सकती है।

दनकौर के पारसौल गांव निवासी आरोपियों के परिवार के एक व्यक्ति ने बताया कि विजयपाल मलिक पहले डीटीसी में चालक पद पर दिल्ली में नौकरी करता था। उसी दौरान लगभग 45 साल पहले विजयपाल गांव में रहने वाले अपने भाइयों से पैतृक संपत्ति के हिस्से के बदले रुपये लेकर दिल्ली में रहने लगा। बाद में चालक की नौकरी छोड़कर विजयपाल मलिक गाजियाबाद में ट्रांसपोर्ट का काम करने लगा। विजयपाल के अधिक पैसा कमाने का फितुर दिमाग में घूमता रहता था।

इसके चलते वह बीमा अभिकर्ता और वकील आदि से बात करता रहता था। इसी बीच विजयपाल को एक्सीडेंटल केस में चार गुना क्लेम वाली बीमा पॉलिसी की जानकारी हुई। उस दौरान गाजियाबाद में दूसरे धर्म से ताल्लुक रखने वाले एक युवक को उसने ब्याज पर रुपये उधार दिए थे। रुपया न लौटाने पर विजयपाल ने युवक से कहा कि वह उससे पैसे नहीं मांगेगा, लेकिन उसके नाम से बीमा पॉलिसी लेगा लेकिन उत्तराधिकारी वह स्वयं बनेगा। विजयपाल ने कुछ माह तक इस पॉलिसी की किश्त जमा की। लेकिन किसी तरह युवक और उसके परिजन ने विजयपाल का हिसाब कर दिया।

इसके बाद उन्होंने बीमा पॉलिसी से विजयपाल का उत्तराधिकार हटा दिया। इसके बाद विजयपाल ने अपने बेटे अनिल व अन्य आरोपियों के साथ मिलकर आगरा में 31 जुलाई 2006 भिखारी को सेंट्रो कार में जिंदा जलाकर मारकर बीमा की राशि हड़पने की साजिश रची। अनिल के परिजन ने कोर्ट में याचिका देकर बीमा कंपनी से क्लेम के 83 लाख रुपये लेकर हड़प लिए। इसके बाद अनिल नाम बदलकर अहमदाबाद में टैक्सी चलाने लगा।
गुजरात पुलिस ने पारसौल लाकर स्कूल से कराई शिनाख्त
अहमदबाद क्राइम ब्रांच ने मुखबिर की सूचना पर सात नवंबर को आरोपी विजयपाल के बेटे अनिल को गिरफ्तार किया। गुजरात पुलिस को सूचना मिली थी कि दनकौर के रहने वाला अनिल मलिक फर्जी पहचान पत्र बनाकर राजकुमार चौधरी रखकर रह रहा है। पुलिस ने अनिल को गिरफ्तार किया। पूछताछ के बाद क्राइम ब्रांच आरोपी को लेकर पारसौल गांव आई। टीम ने अनिल के उस स्कूल में शिनाख्त की, जिसमें उसने बचपन में पढ़ाई की थी। यहां पुराने रिकार्ड में उसका नाम अनिल ही निकला है।

गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने पूछताछ की पर नहीं लगा पाई सुराग
विजयपाल और उसके परिवार के भाइयों से हिस्सा मांगने पर आपस में विवार शुरू हुआ। बताया गया है कि विजयपाल के भाई व उनके परिवार को आरोपियों की करतूत के बारे में जानकारी थी। इसके चलते अनिल के चाचा धर्मपाल ने गौतमबुद्ध नगर में संबंधित अधिकारियों से मिलकर शिकायत की गई। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने मामले में जांच व पूछताछ तो की लेकिन अनिल के गुजरात में नाम बदलकर रहने के कारण उसका सुराग नहीं लगा पाई।
हत्या केस में होगी कार्रवाई, बीमा कंपनी कुर्क करा सकती है संपत्ति
इस मामले में गुजरात पुलिस आगरा पुलिस से वर्ष 2006 में हुई भिखारी की हत्या के केस की फाइल खुलवा सकती है। इसके बाद इस मामले में हत्या की धारा में कार्रवाई होगी। वहीं बीमा कंपनी धोखाधड़ी कर हड़पी गई क्लेम राशि वापस पाने के लिए कानूनी कार्रवाई कर विजयपाल व अन्य आरोपियों के खिलाफ संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई करा सकती है।

पहचान से बचने के लिए गाजियाबाद में किया अंतिम संस्कार
विजयपाल ने फर्जीवाड़े की साजिश रचकर बेटे अनिल को ताजमहल देखने कार से आगरा भेज दिया। इसके बाद आरोपियों ने भिखारी को खाने का लालच देकर कार में बैठाया। इसके बाद नशीली गोलियां खिलाकर कार में आग लगाकर भिखारी की जिंदा जलाकर हत्या कर दी। इसके बाद आरोपियों ने आगरा के संबंधित थाने में शार्ट सर्किट से आग लगने की रिपोर्ट दर्ज करा दी। कद काठी और हुलिया भिखारी का अनिल से काफी अलग था। इसके चलते आरोपी उसके शव को गांव न लाकर गाजियाबाद ले जाकर अंतिम संस्कार किया। जिससे ग्रामीण उसे पहचान न लें।

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