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विषय आमंत्रित रचना -स्वयं को समझे

विषय आमंत्रित रचना -स्वयं को समझे

सबसे कठिन काम है स्वयं को समझना जिसने स्वयं को समझ लिया सही से मानो उसने मोक्ष के पथ की राह को समझ लिया।
खुद को खोना के साथ शब्द की तीन शक्तियों हैं ।ये शब्द की तीन शक्तियां होती हैं अभिधा,लक्षणा,व्यंजना । जैसे एक वाक्य है सबकुछ खो कर पाना अर्थात मानवीय मूल्यों के एवज में, धन दौलत पा जाना यह अभिधा शक्ति हुई । खुद को खो कर सब कुछ पाना यानिहम अपने अहम् को छोड़ कर सबका मन जीत सकते है । यह लक्षणा शक्ति हुई ।खुद को खो कर सब कुछ पाना अर्थात संसार कीसब मोह माया प्रवृत्ति मन वचन काया
की , को खो कर ही हम सब कुछ यानि परम तत्त्व को पा सकते हैं । यह व्यंजना शक्ति हुई । इस तरह एक ही वाक्य के अनेकों अर्थहोते हैं । तभी तो कहा हैं की हम हमेशा सही अर्थ निकालें न बढ़ाएं स्वयं को समझने में उलझने व्यर्थ। हम हमारे भीतर ऐसा कोई दीपजलाएं जो कर दे हमारे मन को आलोकित ।हम उस उस प्रज्ञा को गले के लगाएं । हम हमारे भीतर ऐसा कोई दीप जलाएं । हम संपूर्णज्ञान को प्राप्त कर अंधेरे को मार भगाये ।
प्रज्ञा के प्रकाश को पाये । आज जपें उस महावीर को अपने इस मन को निर्मल कर पाएं । हम हमारे भीतर ऐसा कोई दीप जलाएं ।बाहर का प्रकाश हो हमारे भीतर । पर हित का हो भाव सदैव परस्पर । राग द्वेष का अंत जहां हो सिद्धि मार्ग का पथ हम अपनाएं । हमहमारे भीतर ऐसा कोई दीप जलाएं । कोई दूसरा हमें गुस्से में आकर बोले तो हम सुने नहीं । क्यों हम किसी व्यर्थ की बकवास को याफालतू बातों को चुने ।किसी का बोलना तो उसके ही वश की बात होता है पर उसे स्वीकार व अस्वीकार
करना तो हमारे ही हाथ होता है । हम अपने कानों की खिड़की बंद कर ले व्यर्थ का धुआं आयेगा ही नहीं और हमारा मन आंगन नफरत वघृणा की दुर्गंध से भी मुक्त बन जायेगा । आजकल मोबाइल हमारे जीवन का एक हिस्सा बनता जा रहा है। परन्तु अपने बेहतर जीवन केलिए अनुचित तरीके से उपयोग करने के बजाय इसे सावधानी पूर्वक उपयोग करें तो यह हमारे लिए बड़ा उपयोगी है । मोबाइल मेंसकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों ही हैं । उसमें हमारे जीवन में कुछ सकारात्मकता दिखती है तो हमें सेव कर लेना चाहिए औरकुछ नकारात्मकता ह़ो तो डिलीट करना चाहिए और जो दूसरों को प्रसन्न करें या उपयोगी हो तो उसे फॉरवर्ड कर देना चाहिए । उसी तरहहमारे जीवन-व्यवहार में जो उपयोगी है उसे सेव कर लेना चाहिए व अच्छी आदतों को जीवन पर्यंत रखना चाहिए । जीवन व्यवहार मेंउपयोगी नहीं है उन्हें जीवन में से हटाने की कोशिश करनी चाहिए । बुरी आदतों को जीवन से हटाना चाहिए। और हमें स्वस्थ जीवनशैलीके लाभ के बारे में बताना चाहिए ताकि दूसरे भी जीवन में रहे प्रसन्न। यह सम्भव तब होगा जब हम स्वयं को समझेगे । तभी तो कहा हैंस्वयं को समझो ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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