विषय आमंत्रित रचना – योग
विषय आमंत्रित रचना – योग
भारतीय संस्कृति का सदियों से योग अभिन्न अंग रहा है |आत्मिक व शारीरिक स्वस्थता का योग से विशेष प्रसंग रहा है । सार में कहाजाए तो योग स्वस्थ, संतुलित , मानसिक व शारीरिक आदि जीवन की कला और विज्ञान है । आत्मिक व मानसिक अनुशासन मूल रूपमें योग सिखाता है । मस्तिष्क एवं शरीर में सामंजस्य के नियमों का पालन तथा आत्मविकास करते हुए प्रकृति के साथ समन्वायत्मक संतुलन योग सिखाता है । इसे साधारण समझ में तन और मन की स्वस्थता की थेरापी के रूप में जाना जाता है । भीतर की ओर मुड़नेकी विद्या योग है ।
योग से अंतरात्मा के साथ एकाकार होने का अनुभव होता है तथा इससे चेतना का उर्ध्वागमन संभव होता है । साधनामय उन्मुक्तता काअसीम भाव योग उत्पन्न कर देता है ।जिससे सही सात्विक प्रसन्नता को जन्म मिलता है । योग यानी स्वयं का स्वयं से मिलन । स्वयं कास्वयं के साथ सही मिलन योग है ।शारिरीक स्वास्थ्य के अर्थ में शरीर के साथ संयमपूर्वक, मिलजुलकर रहना भी योग है । पारिवारिकव्यवस्था को बनाए रखने के अर्थ में परिवार से जूडना/मिलजुलकर रहना भी योग है ।पर्यावरणीय स्वास्थ्य के अर्थ में मानव का प्रकृति केसाथ संवादित-लयबद्ध रहना भी योग है । योग का चरम लक्ष्य है आत्म का साक्षात्कार करना और अपनी आत्मा को पूर्णतः निर्भार करनाहै । बाकी तो सारे ऊपर के प्रयोग है ।और इन प्रयोगों का भी सफलता प्राप्त करने में पूरा – पूरा योग है । योग करना यानी हमारेमन-मस्तिष्क में अच्छे – अच्छे गुणों को स्थापित करना है । जो हमें सही ग़लत के मार्ग दर्शन में सक्षम बनाता हैं । योग हमारे मनमस्तिष्क के स्पंदन को शुद्ध एवं पवित्र रखते हैं ।स्फूर्ति एवं उत्साह का संचार योग से होता हैं गुरु महाप्रज्ञ जी की कालज़यी देनप्रेक्षाध्यान अपने आप में अचूक संजीवनी हैं । जो भी इस प्रेक्षाध्यान-स्वाध्याय-योगा रूपी नौका से अपने गंतव्य, किनारे, मंज़िल तटपाने में समर्थ रहेगा उसके आत्म स्पंदन के भावों में करुणा उसी तरह बहेगी। स्वस्थ जीवन का वरदान हैं योग। योग को नियमित करने से शारीरिक मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य प्राप्त होता है। नियमित दिन चर्या से स्वयं अनुशासन में स्फुरित रहते है । योग ,ध्यान , प्राणायाम आदि का फलित है दीर्घ और स्वस्थ जीवन ।शीतलता, निर्मलता आदि लिए सबके खातिर उपयोगी बनता है जीवन। वर्तमानमें योग को शारीरिक, मानसिक व आत्मिक स्वास्थ्य व शांति के लिए बड़े पैमाने पर अपनाया जाता है । योग व्यायाम का ऐसाप्रभावशाली प्रकार है जिसके माध्याम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन,मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है ।यही कारणहै कि योग से शारीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )