सुखी रहने का हुनर
सुखी रहने का हुनर
हर आदमी सुखी रहना चाहता हैं कोई भी दुःखी नहीं रहना चाहता । परन्तु हर आदमी के जीवन में दुःख भी होता है । कहते है की दुःख नहीं आये तो जीवन जीने की सही सीख नहीं मिलती है ।इसके विपरीत बहुत कम ही लोगों को बिना दुःख के सही जीवन जीने की सीख मिलती हैं । सुखी रहने के हुनर हम बहुत सुनते है लेकिन सही से सुखी रहने का हुनर एक यह भी है की हम किसी दूसरे की खुशी को अपनी खुशी माने ।खुशी पाने की इच्छा तो सबको होती है व हर कोई पाना चाहता है पर दूसरे को खुशी बांटना यह सबसे बड़ा व महान काम है ।हम सदा इस पर चिंतन करें फिर उसका क्रियान्वयन भी हो ।क्योंकि दूसरे के हित का चिंतन ही इस जीवन का सबसे बड़ा व सबसे महत्वपूर्ण आयाम है । अपने स्वार्थ के लिए तो पशु भी सब कुछ करते है पर महान वे व्यक्ति होते है जो दूसरों की भलाई करने के लिए खुद मरते है। चाहे किसी की खुशी का कारण न बन सको पर किसी के दर्द का मरहम जरूर बनकर देखना शायद उनकी दुआओं से आपके अपने घाव ही भर जाएँ । अतः खुशी उन्हें नहीं मिलती जो जिंदगी को अपनी शर्तो पर जीते है बल्कि खुशी उन्हे मिलती है जो दूसरों की खुशी के लिए अपनी जिंदगी की शर्तो को बदल देते है ।औरों की खुशी में स्वयं खुशी ढूँढ़ने का साधन इत्र छिड़को औरों पर , महकाओ स्वयं को और वातावरण को भी ,
चंदन लगाओ किसी के माथे पर , महकाओ स्वयं की अंगूली भी ।बस इसी तरह सेवा कर मेवा पाओ आनन्द की लौ मन के हर कोने में जलाओ | लग जाए यदि यह चस्का तो फिर मानव ऐसे अवसर खोजता ही रहता है और अनवरत सुखी रह सकता है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)