
देश में असमान्य मॉनसून के कारण इस बार चावल और इसके उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका गहरी हो गई है. बाजार में इसी आशंका के कारण अब चावल के दाम भी बढ़ गए हैं. इसमें सभी किस्मों के चावल शामिल हैं जिनकी कीमते जून महीने की शुरुआत से लेकर अभी तक में 30 फीसदी तक बढ़ गई है. धान रोपाई के रकबे में कमी और निर्यात के लिए चावल की बढ़ती मांग को इसके पीछे की वजह बताया जा रहा है.
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ोक के मुताबिक इस साल सभी प्रमुख धान उत्पादन राज्यों नें धान की खेती का रकबा कम हुआ है. पिछले साल की तुलना में इस साल 29 जुलाई तक धान का रकबा काफी कम है. इसके अलावा ईरान, सऊदी अरब, बांग्लादेश और इराक से चीवल की अधिक मांग आ रही है.जबकि उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार के प्रमुख उत्पादक राज्यों में खराब बारिश के कारण धान की खेती प्रभावित हुई है. इसके कारण धान उत्पादन को लेकर चिंता बढ़ गई है.
बांग्लादेश ने शुरू किया निर्यात
न्यूज 18 के अनुसार राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्णा राव ने बताया कि बांग्लादेश ने भारत से चावल का आयात करना शुरू कर दिया है , जिसके चलते सोना मसूरी जैसे चावल की किस्मों के दाम प्रभावित है. यह चावल भारत में भी अधिकांश घरों में पसंद किया जाता है. इसकी कीमतों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस साल धान के बुवाई क्षेत्र की बात करें तो पिछले साल की तुलना में अब तक 37 लाख हेक्टेयर कम क्षेत्र में धान की खेती हुई है.
10 लाख टन उपज हो सकती है प्रभावित
धान के रकबे में कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे देश में 39.7 मिलियन हेक्टेयर में खरीफ धान की खेती होती है. जबकि इस कुल रकबे का दसवां हिस्सा इस बार कम हुआ है. इसी तरह अगर उत्पादन देखा जाए तो प्रति हेक्टेयर आसतन 2.6 टन की उपज होती है. इस तरह से लगभग 10 लाख टन उपज प्रभावित होने की आशंका है. इस साल 29 जुलाई तक मॉनसून की बारिश सामान्य से अच्छी रही पर इसका विरतण सही तरीके से नहीं हो पाया. क्योंकि मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इससे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों को घाटा हुआ है. इनमें अधिकांश राज्य धान की खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं.
प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में बारिश की स्थिति
प्रमुख धान उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल में 47 फीसदी बारिश हुई जबकि उत्तर प्रदेश में 52 फीसदी. बिहार में 41 फीसदी और झारखंड में 50 फीसदी बारिश के साथ स्थिति चिंताजनक हो गई है.वहीं हाल ही में, केंद्र सरकार ने तेलंगाना में केंद्रीय पूल (FCI और राज्य द्वारा DCP के तहत) में चावल खरीद कार्यों को बहाल करने का निर्णय लिया. राज्य द्वारा अपनी एजेंसियों के माध्यम से किसानों से धान की खरीद की जाती है.
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