आठ साल के नरेन्द्र मोदी के शासन का एक ऐसा रिपोर्ट कार्ड सामने आया है। जिसे सुनकर आपको गर्व होगा। जो लोग आत्मनिर्भर भारत को जुमला कहते थे उन्हें आंकड़ों के साथ जवाब मिला है। जब दुनिया कोरोना और युद्ध की वजह से आर्थिक संकट के खतरे से जूंझ रही है तब भारत में लोगों की इनकम दोगुनी हुई है।
ये क्यों हो सका है, प्रधानमंत्री मोदी की नीतियां बड़े काम की क्यों है।
महाभारत में अर्जुन ने मछली की आंख पर निशाना लगाया था। एक लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी है। निशाना लगाना है कि 2047 तक भारत विकसित देश बन जाए। प्रधानमंत्री के विकसित भारत के सपने को पंख लगाने वाला एक सटीक इंडिकेटर दिखा है। ये इंडिकेटर है भारत की प्रति व्यक्ति आय। NSO के आंकड़ों के मुताबिक मोदी युग में प्रति व्यक्ति आय में 99% का उछाल आया है। यानी भारत में हर व्यक्ति की औसत कमाई 2014 के बाद लगभग दोगुनी हो गई है।
प्रति व्यक्ति आय में 99% की इस बढ़ोत्तरी में महंगाई के फैक्टर शामिल हैं। 2014-15 में प्रति व्यक्ति आय 86,647 रुपए थी। 2022-23 में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 72 हजार रुपए हो गई। प्रति व्यक्ति आय की बढ़ोत्तरी रियल टर्म में 35% है। मोदी राज में भारत की तरक्की का ये आंकड़ा ऐसे समय में आया है कि जब यूरोप में मंदी की आहट सुनायी पड़ रही है।
फरवरी में IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जियोर्जीवा ने दोहराया है कि भारत की अर्थव्यवस्था ब्राइट स्पॉट जबकि 2023 दुनिया के लिए मुसीबत भरा साल है। IMF की MD क्रिस्टालिना का ये अचानक आया बयान नहीं। वो लंबे समय से यही बात कह रही हैं। भारत इस अंधकार में एक ब्राइट स्पॉट है, क्योंकि दुनियाभर में इतना बुरा समय होने के बाद भी भारत बहुत तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। ये बढ़ोत्तरी स्ट्रक्चरल रिफॉर्म की वजह से हुई है। याद कीजिए 2014 का साल। जब भारत Fragile FIVE यानी मुसीबत वाली 5 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में गिना जा रहा था। जरा नजर दौड़ाइये कि सालों-साल डबल डिजिट वाली महंगाई ने हाल कर के क्या रखा था।
2023 में भी महंगाई पर विपक्ष के सवाल जरूर होंगे। लेकिन पाकिस्तान से लेकर यूके तक जब खाने-पीने की चीजों की महंगाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। तब समझना होगा मोदीनॉमिक्स को। जब कई देश ऐसे हैं जहां खाने-पीने की कई चीजों की कीमतों में अर्धशतक से लेकर सेंचुरी वाली बढ़ोत्तरी है, तब मोदी के इंडिया में सिंगल डिजिट से ऊपर महंगाई दर नहीं पहुंची है। तब समझना होगा मोदी के इकोनॉमिक मैनेजमेंट को। इस इकोनॉमिक मैनेजमेंट में महंगाई काबू में हैं और विकास की रेल सरपट दौड़ रही है।
आज पूरे विश्व में भारत को लेकर के पॉजिटिविटी है, एक आशा है, भरोसा है। और माननीय अध्यक्ष जी ये भी खुशी की बात है कि आज भारत को विश्व के समृद्ध देश ऐसे G20 की अध्यक्षता का अवसर मिल रहा है। लेकिन मुझे लगता है पहले मुझे नहीं लग रहा था, लेकिन अभी लग रहा है कि शायद इससे भी कुछ लोगों को दुख हो रहा है।
सवाल पब्लिक का है
बीते 8-9 साल में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने ऐसा किया क्या ?
2014 के बाद से देश की आर्थिक तरक्की के लिए मोदी का मंत्र क्या रहा ?
कोरोना की चुनौती के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था पटरी से क्यों नहीं उतरी जबकि भारत 140 करोड़ का देश है ?
महाभारत के अर्जुन की तरह नरेंद्र मोदी कैसे विकसित भारत के लक्ष्य को साध रहे हैं ? ये सवाल बड़ा है। ये सवाल एक बिजनेस केस स्टडी है। भारत एक बहुत जरूरी देश है। मेरे माइक्रोसॉफ्ट के करियर में बहुत से लोग भारत से थे। सत्या नडेला अब बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। भारत ऐसा देश है जिसके साथ हमारा बहुत इंगेजमेंट रहा है। और हम भारत में ही ग्रोथ ही नहीं बल्कि ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो भारत में बहुत अच्छे से चल रही हैं।
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। इस ऐलान के बाद महीनों तक देश में अफरातफरी मची रही। वाकई महीनों तक देश लाइन में लगा रहा। लेकिन आज एटीएम से रोजमर्रा के पैसे निकालने वाली लाइन भी लगनी लगभग बंद हो गई है। क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था में डिजिटल क्रांति हो गई है।
जनवरी 2023 में ही आधार KYC वाले ग्राहकों ने 200 करोड़ रुपयों से अधिक का लेन-देन किया है। भारत की इकोनॉमी का डिजिटल अवतार ग्लोबल हो चुका है। आप 2014 से पहले यकीन कर सकते थे कि सिंगापुर जैसा देश तरक्की के मामले में भारत से मदद पाने के लिए पार्टनर बनेगा।
1 जुलाई 2017 को इनडायरेक्ट टैक्स की नई व्यवस्था गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी GST लागू हुई। दशकों के इंतजार के बाद GST को लागू किया जा सका। राहुल गाँधी जैसे नेता जिनके दौर में GST पर सहमति नहीं बन सकी। उन्होंने आरोप लगाया कि गलत GST लागू हुई। उन्होंने मजाक उड़ाया गब्बर सिंह टैक्स लगाया गया है।
एक कुल्हाड़ी इस साइड से नोटबंदी की मारी, दूसरी कुल्हाड़ी इस साइड से मार दी GST की। इनकी जो GST है ये GST नहीं है । GST यानी गब्बर सिंह टैक्स। GST पर सिर्फ राजनीति के लिए विरोध के सुरों को छोड़ दें तो आज GST क्रांति से रिकॉर्ड टैक्स कलेक्शन हो रहा है। सरकारों का खजाना भर रहा है। और देश में तरक्की की रफ्तार तेज हो रही है।
पोर्ट से लेकर एयरपोर्ट।
सड़क से लेकर रेल।
IITs से लेकर AIIMS
इन सबकी संख्या और इनके ऑपरेशनल होने की रफ्तार को देश देख रहा है। इस रफ्तार से सरकार का कॉन्फिडेंस बढ़ा नजर आता है। जब विपक्ष अडानी मामले को लेकर सरकार पर हमला करता है। संसद नहीं चलने देता है। देश के बजट को मित्रकाल का बजट बताता है। तब भी भारत में निवेश की रफ्तार नहीं थमती। क्या आप मानती हैं कि कुछ ऐसी ताकतें है जो भारत की इकोनॉमी पर हमला कर कंफ्यूजन फैलाना चाहती हैं, क्योंकि इसे चलते हुए कई दिन हो गए हैं, सरकार ने कोई तो राय ली होगी इस पर?
इस मामले को लेकर चाहे वो निवेश, भारत में आने वाले फंड, बैंकिंग प्रणाली, PLI, चीन से संबंधित नीतियां हो मुझे नहीं लगता किसी तरह का अभी असर हुआ है। उदाहरण के तौर पर अभी कुछ दिनों में हमारी विदेशी मुद्रा 8 बिलियन तक बढ़ी है। महीनों में नहीं बस कुछ दिनों में 8 बिलियन तक पहुंची है। 2022-23 की तीसरी तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक विकास दर 4.4% रहने का अनुमान जताया गया है। जो कि दूसरी तिमाही के 6.3% से काफी कम है।
बस इस एक आधार पर RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बयान दिया है कि भारत में हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ का खतरा है। हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में भारत की अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार के लिए 1970-80 के दशकों में इस्तेमाल किया गया शब्द है। लेकिन सिर्फ एक तिमाही के आंकड़ों के आधार पर हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ की भविष्यवाणी की गई है। जबकि सच्चाई ये है कि भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज आगे बढ़ता देश है। भारत आज दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अर्थव्यवस्था की रेस में भारत को गुलाम रखने वाले ब्रिटेन को पछाड़ चुका है। लेकिन उसी ब्रिटेन में बैठकर कांग्रेस राहुल गाँधी मोदी सरकार पर आरोपों की बौछार कर रहे हैं।
ये कहना कि ये लॉस्ट डिकेड है तो उसका क्या जिसमें उन लोगों ने काम किया? क्या ये उनका अपमान नहीं है? वो ये विदेशी धरती पर कर रहे हैं। इस नैरेटिव के पीछे धन है। अडानी इसके पीछे हैं। अरबों डॉलर खर्च किए जा रहे हैं। नैरेटिव बनाया जा रहा है और भारत की संपत्ति अडानी को दी जा रही है।
सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता। सच्चाई को आरोपों से दबाया नहीं जा सकता। 2022 में आयी मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के मुताबिक –
2030 तक भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
2031 तक भारत की GDP 7.5 ट्रिलियन डॉलर होने की संभावना है।
2031 तक प्रति व्यक्ति आय 4.28 लाख हो जाएगी।
2.5 करोड़ परिवारों की सालाना आमदनी 28 लाख से ज्यादा हो जाएगी।
भारत की आर्थिक तरक्की की ये उम्मीद सिर्फ भारत की उम्मीद नहीं। ये सिर्फ भारत के लिए नहीं है। इसमें ग्लोबल गुड की भावना है। नरेंद्र मोदी की सरकार के सामने भी कई आर्थिक चुनौतियां हैं। न्यू इंडिया के सपनों पर काम हो रहा है लेकिन आर्थिक मामलों में रपटीली राहें अभी भी हैं। नवनिर्माण में कई बार धूल-गुबार भी दिखता है। लेकिन धीरे-धीरे ही सही भारत की गिनती अब बेहद मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में हो रही है। 2014 के मुकाबले भारत की प्रति व्यक्ति आय नॉमिनल टर्म में दोगुनी होने का मतलब है कि सुखी भारत, समृद्ध भारत की ओर एक लंबी छलांग।