राष्ट्रीय

भारत Biotech की नौकरी छोड़कर खेती कर रहे बोंगुराम नागराजु, युवाओं के लिए बने प्रेरणा

Organic Farming

देश में कृषि (Agriculture) आज रोजगार का एक बेहतर विकल्प के तौर पर सामने आ रहा है. यही वजह है देश के युवा अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर खेती को अपना रहे हैं. इनमें उन युवाओं का तादाद ज्यादा है जो कामयाबी की उचांई छूने के बाद भी जड़ों से जुड़ें रहना चाहते हैं. हैदराबाद के रहनेवाले युवा बोंगुराम राजु वैसे लोगों के लिए प्रेरणास्रत्रोत हैं जो अपने गांवों में रहना चाहते हैं. क्योंकि राजु भारत बॉयोटेक (Bharat Biotech) जैसी बड़ी कपंनी के साथ काम कर रहे थे, अच्छी तनख्वाह भी थी पर अपने जीवन से वो संतुष्ट नहीं थे. राजु खेती में रासायनों के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर चिंतित थे.

खेतों में रसायानिक खाद और कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग के कारण इंसानों में होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में सोचकर वो काफी परेशान थे. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया. नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने खेती करने का फैसला किया और तेलंगाना में स्थित अपने गांव हब्सीपुर चले गए. उनके गांव में लोग परंपरागत खेती करते थे. उन्होंने इस शैली से हटकर खेती करने का फैसला किया. राजु ने खेती के लिए स्वदेशी धान के उन किस्मों को चुना जिसकी खेती हब्सीपुर गांव के किसान नहीं करते थे.

जैविक विधि से की खेती की शुरुआत

इतना ही नहीं राजु ने रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल अपने खेतों में नहीं किया. उन्होंने अपने जैविक कृषि को अपनाया और अपने खेतों में उर्वरक के तौर पर गाय के गोबर और कीटनाशक के लिए नीम के तेल का उपयोग करना शुरू किया. उनक यह प्रयास रंग लाया और वो जैविक खेती करने लगे. इससे उन्हें लाभ हुआ, साथ ही आस-पास के किसान भी उनकी खेती पद्धति को देखकर प्रभावित हुए.

कई युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं राजु

जैविक खेती के प्रति राजु के प्रयासों को देखते हुए और अच्छे से कृषि को करने में उनके प्रयासों को मान्यता देने के लिए गांधी ग्लोबल फैमिली और गांधी ज्ञान प्रतिष्ठान ट्रष्ट ने उन्हें पिछले साल पुदामी पुत्र पुरस्कार से सम्मानित किया. इसके अलावा वो किसानों को शिक्षित करने के लिए ग्राम भारती स्वैच्छिक संगठन, सुभिक्षा एग्री फाउंडेशन और डेक्कन मुद्रा के साथ कार्य कर रहे हैं. न्यूज 18 के मुताबिक स्थानीय कृषि विस्तार अधिकारी महेश बताते हैं कि कृषि में अपना करियर बनाने के बाद राजु आज कई युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं.

फल सब्जी की खेती के साथ करते हैं मछली पालन

राजु बताते हैं कि उनके माता-पिता और ससुरालवाले उनके इस फैसले से काफी परेशान थे, लेकिन उनकी पत्नी ने हर समय उनका साथ दिया. राजु के लिए उनकी पत्नी ने हैदराबाद के एक कॉरपोरेट स्कूल में शिक्षिका की नौकरी छोड़ दी. उन्होंने मिलकर साढ़े चार एकड़ जमीन में मणिपुर काला चावल, कुजी पाटली, दसमुथी रत्ना चोड़ी, कलाबती जैसी धान कि किस्में उगायी हैं साथ ही राजु फल और सब्जियों की खेती करते हैं इसके अलावा भेड़ पालन और मुर्गा पालन भी करते हैं.

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