मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में चीतों के आने से उत्साह के बीच, आसपास के इलाकों में रह रहे ग्रामीणों के मन में उनकी जमीन अधिग्रहण किये जाने और चीतों द्वारा उन पर हमला किये जाने समेत कई तरह की चिंताएं उठ रही हैं। हालांकि, कुछ आशावादी ग्रामीण कह रहे हैं कि एक बार जब केएनपी चीतों के लिए प्रसिद्ध हो जाएगा, तो यहां पर्यटकों की संख्या में वृद्धि से उन्हें रोजगार मिलने की संभावना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने 1952 में भारत में विलुप्त हुए चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करने की परियोजना के तहत शनिवार सुबह नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को केएनपी में विशेष बाड़ों में छोड़ा। श्योपुर-शिवपुरी रोड पर स्वलपाहार बेचने वाले विक्रेता राधेश्याम यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जब शेष चार-पांच गांवों को केएनपी के लिए विस्थापित कर दिया जाएगा तो मेरी छोटे सी भोजन की दुकान का क्या होगा?
पिछले 15 वर्षों में केएनपी के लिए 25 गांवों को विस्थापित किये जाने के कारण हम पहले से ही वित्तीय रूप से प्रभावित हैं।’’ उनकी दुकान केएनपी से 15 किलोमीटर दूर सेसाईपुरा में है। किसान रामकुमार गुर्जर को आशंका है कि पास की बांध परियोजना के कारण सेसाईपुरा के लोगों की आजीविका छिन जाएगी। गुर्जर ने बताया,‘‘ गांवों को पहले इस उद्यान के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था। अब पास के कटिला क्षेत्र में कूनो नदी पर बांध परियोजना बन रही है। यह परियोजना कम से कम 50 गांवों को प्रभावित करने जा रही है जो सेसाईपुरा से जुड़े हुए हैं।
उनके विस्थापन होने के बाद सेसाईपुरा में किराने, कपड़े और अन्य छोटे व्यवसाय वाली दुकानों का क्या होगा, तब हमारा गांव यहां अकेला रह जाएगा।’’ चीतों से अधिक पर्यटकों के आने की उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दावा किया कि होटल और रेस्तरां अमीर बाहरी लोगों द्वारा चलाया जाएगा और स्थानीय निवासियों को केवल इनमें छोटी-मोटी नौकरियां मिलेंगी। कपड़ों की दुकान चलाने वाले धर्मेंद्र कुमार ओझा ने आशंका जताई कि चीता गांवों में घुस सकते हैं। इसी तरह की बातें कुछ अन्य ग्रामीणों ने भी कही।
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