अंतराष्ट्रीय

Russia Ukraine War: यूक्रेनी संसद में रूसी युद्ध समर्थकों की संपत्ति को जब्‍त करने का कानून पास

Vlodimir Zelensky

Russia Ukraine War:  दोनों देशों के युद्ध के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि यूक्रेनी संसद (Ukrainian Parliament) ने रूसी युद्ध समर्थकों (Russian war supporters) की संपत्ति को जब्‍त करने की अनुमति देने वाला कानून पारित किया. कीव इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, ये कानून संपत्ति को जब्त करने की अनुमति देता है जो न केवल रूसी राज्य या उसके निवासियों से संबंधित है, बल्कि रूसी सरकार से जुड़े गैर-निवासियों के लिए भी है, जो रूस के युद्ध से इनकार या समर्थन करता है. बता दें कि दोनों देशों के बीच छिड़ी जंग का आज 37वां दिन है. न रूसी सेना पीछे हटने को तैयार है और न ही यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की हार मानने को राजी हैं.

ऐसे में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध विराम को घोषणा कब होगी, यह कहना वाकई मुश्किल है. दूसरी तरफ दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को लेकर भी बातचीत चल रही है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध विराम को लेकर कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन इस वार्ता से अभी तक कई सार्थक समाधान नहीं निकल सका है.

रूस-यूक्रेन के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत फिर शुरू

वहीं, अब दोनों देशों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत फिर से शुरू हो गई है. रूसी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख व्लादिमीर मेदिंस्की ने शुक्रवार को चल रही वार्ता की एक तस्वीर प्रकाशित की. यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की के कार्यालय ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को इसकी पुष्टि की है कि वार्ता फिर से शुरू हो गई है. शुक्रवार की वार्ता तुर्की में रूसी और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच पिछली बैठक के तीन दिन बाद हुई. रूसी प्रमुख वार्ताकार मेदिंस्की ने कहा, ‘क्रीमिया और डोनबास पर हमारी स्थिति अपरिवर्तित है.’ रूस ने 2014 में दक्षिणी यूक्रेन में क्रीमियाई प्रायद्वीप को नियंत्रण में ले लिया था. डोनबास मुख्य रूप से रूसी भाषी औद्योगिक क्षेत्र है जहां मास्को समर्थित अलगाववादी 2014 से यूक्रेन की सेना से जूझ रहे हैं.

यूक्रेन में शांति प्रयासों में योगदान दे सकता है भारत-रूसी विदेश मंत्री

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि यदि भारत चाहे तो वह अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के प्रति अपने न्यायसंगत और तर्कसंगत दृष्टिकोण के साथ यूक्रेन में मौजूदा स्थिति को हल करने के लिए शांति प्रयासों का समर्थन कर सकता है. उन्होंने संघर्ष के मुद्दे पर नयी दिल्ली की स्वतंत्र स्थिति की सराहना करते हुए यह बात कही. लावरोव ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत के बाद एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि अगर भारत शांति पहल में योगदान देने का फैसला करता है तो कोई भी इसका विरोध नहीं करेगा. लावरोव ने कहा कि भारत यदि चाहे तो भूमिका निभा सकता है और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के प्रति अपने न्यायपूर्ण एवं तर्कसंगत दृष्टिकोण के साथ वह ऐसी प्रक्रिया का समर्थन कर सकता है तथा कोई भी इसके खिलाफ नहीं होगा.’

कलप्रिट तहलका (राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक) भारत/उप्र सरकार से मान्यता प्राप्त वर्ष 2002 से प्रकाशित। आप सभी के सहयोग से अब वेब माध्यम से आपके सामने उपस्थित है।
समाचार,विज्ञापन,लेख व हमसे जुड़ने के लिए संम्पर्क करें।

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Back to top button