मध्य प्रदेशराज्य

University में नमाज पढ़े जाने से नाराज हिंदू संगठन, कैंपस के मंदिर में किया हनुमान चालीसा का पाठ, दी ये चेतावनी

Namaz

मध्य प्रदेश (MP) के सागर यूनिवर्सिटी में एक छात्रा द्वारा हिजाब में नमाज पढ़ने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मामले का वीडियो सामने आने के बाद हिंदू संगठनों (Hindu Sangathan) के कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी के मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ किया. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आगे इस तरह की सांप्रदायिक गतिविधियां होती हैं, तो यहां पर उग्र आंदोलन और प्रदर्शन किया जाएगा. हिंदू संगठनों के चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस तरह का मामला फिर सामने आया तो वह क्लास में जाकर भी हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करेंगे.

कुलपति ने छात्र छात्राओं के विश्वविद्यालय परिसर (University Campus) में धार्मिक और सांप्रदायिक गतिविधियों को संचालित करने पर रोक लगा दी है. हिंदू संगठनों ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्रा द्वारा हिजाब पहनकर नमाज पढ़कर सागर विश्वविद्यालय को जेएनयू बनाने का षड्यंत्र चल रहा है. उन्होंने कहा कि वह इस तरह की घटनाओं के बाद वह एग्जाम नहीं होने देंगे.  एग्जाम में लड़की द्वारा नमाज पढ़ने (Namaz In University Campus) का मामला सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है.

कैंपस में धार्मिक और सांप्रदायिक गतिविधियों पर रोक

यह कमेटी सभी तथ्यों पर जांच के बाद एक जांच रिपोर्ट कुलपति को सौंपेगी. इसके आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी. डॉ हरि सिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के शिक्षा शास्त्र विभाग में छात्रा के हिजाब में नमाज पढ़ने का मामला सामने आया था.  कुलपति ने विश्वविद्यालय परिसर में छात्र छात्राओं के धार्मिक और सांप्रदायिक गतिविधियों को संचालित करने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है. खबर के मुताबिक सागर के डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के एजुकेशन डिपार्टमेंट में दोपहर 1 बजे के करीब एक मुस्लिम छात्रा ने हिजाब पहनकर नमाज पढ़ी थी.

यूनिवर्सिटी में नमाज पढ़ने का मामला

नमाज पढ़ती छात्रा का वीडियो सामने आया था. मामले की जानकारी लगते ही हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट का हिजाब विवाद पर आए  फैसले का हवाला देते हुए मामले की शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से की. इसके पहले भी विभाग के छात्र-छात्राओं ने शिक्षकों और विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों को मामले से अवगत कराया था. लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं की.

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