क्या फ़ायदा ऐसी “ममता” का जब पश्चिम बंगाल में जान बचाने वाले ही बर्बर जानवरों से सुरक्षित ना हो?
कोलकाता। अनेक लोगों ने हमें कहा, इस विषय पर लिखिये ताकि समाज ऐसे लोगो और निकम्मी सरकार के विरुद्ध खड़े हो मृतका को न्याय दिलाये। मैं सोच सोच कर हैरान हुए जा रहा हूँ, डेढ़ दशक से भारत समेत दिल्ली में ऐसे कांड तो बहूदा देखने को मिलते रहें हैं, खूब लिखा पर हुआ क्या बस कैण्डल मार्च ! एक परिवार फूलों की तरह सम्भाल कर पालता है अपनी बेटी को, उसे पढा लिखा कर काबिल बनाता है, और एक दिन कोई बर्बर जानवर आता है और हम उस जानवर की बर्बरता को समाचारों में पढ़ते है।
ट्रेनी डॉक्टर रेप-हत्याकांड के बाद कोलकाता में ममता सरकार की लापरवाही और अमानवीय चेहरा एक बार फिर सबके सामने ला दिया हैं,जिसके बाद अब पश्चिम बंगाल समेत देश भर के डॉक्टरों नें मोर्चा खोल दिया है। एक पीड़ित परिवार के दुःखो में साथ देने के बजाय उसके विरोध में टीएमसी कार्यकर्ता और पदाधिकारी जो कुकृत्य कर रहें पश्चिम बंगाल में वह बेहद निंदनीय और शर्मनाक है।
कोलकाता रेप-मर्डर केस के बारे में जो खुलासे हुए उससे पूरा देश स्तब्ध हैं। घटना की वीभत्सता सुन कर पूरा देश कांप उठा हैं। आप भी अगर सोशल मिडिया रिपोर्ट पढ़ेंगे तो वही दशा होगी। इससे अधिक जानवरों जैसे हैवानियत और क्रूरता क्या ही होगी ? गला काटने से होने वाली पीड़ा से हजार गुनी अधिक पीड़ा दी गयी उस लड़की को और बलात्कार तो ऐसी दुर्दांत घटना है जिसे सोच लें तो रोआं सिहर उठेगा। मृतका के परिवार वाले जीवन भर तड़पते रहेंगे, हर क्षण मरेंगे। जब उन्हें अपनी डॉक्टर बेटी याद आएगी, वे मृत्यु की पीड़ा से तड़पेंगे बच्ची को मिली जानवरों जैसी उस नरकीय यातना को याद कर कर के रोयेंगे। ऐसे में उन जानवरों को बचाने वालों का जमीर उन्हें धिक्कारेगा।
दरिंदो नें केवल एक लड़की को नहीं, उसके पूरे परिवार बल्कि पूरे समाज को मारा है। अपराधी के मोबाइल में अश्लील फिल्मों की क्लिप भरी हुई मिली। उसे नशा था यह सब देखने का। एक अपराधी अपने घर में बैठे दारू पीता है, अश्लील फिल्में देखता है, अपने आप को जानवर बना लेता है, और एक दिन वो जानवर मौका मिलते ही किसी परिवार को उजाड़ फेंकता है। आप करते रहिए बौद्धिकता की बातें, कोई जानवर आएगा और अपने फुहड़ थुथुन से आपकी आत्मा को मार देगा।
सोशल मीडिया में एक दो नहीं, हजारों मतान्ध लोग हैं जो उस लड़की के लिए भी गन्दी गन्दी गालियां लिख रहे हैं। जानते हैं क्यों? क्योंकि उनकी पसंदीदा सरकार की आलोचना हो रही है, तो वे उस लड़की को ही गन्दी गन्दी गालियां दे कर बात बराबर कर रहे हैं। सोचिये ! पकड़ा गया अपराधी अश्लील फ़िल्म देखने का आदी है। वह अकेला इस नशे का आदी नहीं है, इस देश में ऐसे करोड़ों युवक हैं जिनकी मोबाइल में केवल यही भरा है। वह देखने के बाद वे हर लड़की को नोच लेने वाली दृष्टि से ही देखते हैं। उन्हें जब मौका मिल जाय, वे नोच लेंगे। पर उन्हें पूरी छूट है। वे जो मन करे वह देखें और उसके बाद पशु बन कर नोंचते फिरें। अभी कोई आएगा और पोर्न देखने को अपना अधिकार बता देगा। मुझे पिछड़ा बताते हुए घोषित कर देगा कि इसका उससे कोई सम्बंध नहीं। उसे केवल अपने अधिकार की चिन्ता है, उसे इस भयावह महामारी की कोई चिन्ता नहीं। उस लड़की ने इनका क्या बिगाड़ा है ? वह तो इन्हें जानती तक नहीं थी। वह पोस्ट उस डॉक्टर बेटी के परिवार तक पहुँचे तो उन्हें कैसा लगेगा? ये लोग उस अपराधी से जरा भी कम गुनाहगार नहीं।
आपको याद होगा, दिल्ली रेप कांड वाली घटना के बाद पूरा देश आंदोलित था। हजारों लाखों लोग सड़कों पर उतरे थे। फिर भी कुछ नहीं बदला। कभी सोचा है क्यों? क्योंकि इस देश का बौद्धिक वर्ग कभी इस विषय पर चर्चा नहीं कर सका कि इस बीमारी के बढ़ने का मूल कारण क्या है और इसे कैसे रोका जाएगा। जब चर्चा होती है तो सरकार को गाली वाली दी जाती है और खानापूर्ति हो जाती है। इस पार्टी के शासन में कांड हो तो उस पार्टी वाले आंदोलन करते हैं, उस पार्टी के शासन में हो तो इस पार्टी वाले हुड़दंग करते हैं। इससे अधिक कभी बात नहीं हुई।
इस अपराध के बढ़ने के दर्जनों कारण होंगे, हम आज तक उसकी पहचान नहीं कर सके। हम कारणों पर बात ही नहीं करना चाहते। हम इसपर भी बात करना नहीं चाहते। हम बस हल्ला कर के चुप हो जाते हैं। वर्तमान सरकार नें ज़ब सभी अश्लील साइट्स को बंद करने का प्रावधान लाई तो एकाएक देश के बुद्धिजीवी टूट पड़े। अश्लील फ़िल्म देखने को अपना अधिकार बताने लगे। लेकिन देश के लिए शर्म करने का समय है। आज़ पूरा देश डॉक्टरों के न्याय मांगने के समर्थन में खड़ा हैं, एक बेटी को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़क तक आज़ सभी भारतीय खुलकर पश्चिम बंगाल के आतंक के सामने न्याय के लिए आवाज़ उठा रहें हैं।