नई दिल्ली। नगालैंड (Nagaland) में ‘सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम, 1958 (AFSPA) को वापस लेने की मांग के बीच केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। गृह मंत्रालय द्वारा सचिव स्तर के अधिकारी विवेक जोशी की अध्यक्षता में गठित की गई यह कमेटी AFSPA (Armed Forces (Special Powers) Act) को वापस लेने पर विचार करेगी। 4 दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 आम लोगों के मारे जाने के बाद इसे वापस लेने की मांग ने जोर पकड़ लिया है।
क्या है AFSPA कानून?
AFSPA कानून सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियां देता है। जिस इलाके में यह कानून लागू हो वहां सिर्फ शक होने पर सुरक्षा बल के जवान किसी को गोली तक मार सकते हैं। इसे अशांत क्षेत्र में शांति लाने के उद्देश्य से 1958 में लागू किया गया था। 1958 में नगालैंड में उग्रवादी गतिविधियों के चलते कानून लागू करते समय तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि 6 महीने के लिए सेना भेजी जा रही है, स्थिति संभलते ही सैन्य बलों को बुला लिया जाएगा। हालात काबू में नहीं आए तो संसद से अध्यादेश पारित कराकर इसे लागू कर दिया गया।
शुरुआत में इसे पूर्वोत्तर के राज्यों में लगाया गया था। इन राज्यों में घोषित किए गए अशांत क्षेत्र की सीमाएं पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और म्यांमार से लगी थीं। पंजाब में उग्रवाद बढ़ने पर वहां के कई क्षेत्रों में भी इसे लगाया गया था। जब 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने लगा तो 1990 में इसे यहां भी लगा दिया गया था।
किसी भी राज्य या किसी भी क्षेत्र में यह कानून तभी लागू किया जाता है, जब राज्य या केंद्र सरकार उस क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर देती है। इस कानून के लागू होने के बाद ही वहां सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं। कानून लगते ही सेना या सशस्त्र बल को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार मिल जाता है। कई बार सुरक्षा बलों पर इस एक्ट का दुरुपयोग करने का आरोप लग चुका है। ये आरोप फर्जी एनकाउंटर, यौन उत्पीड़न आदि के मामले को लेकर लगे हैं।
मिलते हैं ये अधिकार
- सुरक्षा बल संदेह के आधार पर किसी को भी गोली मार सकते हैं।
- बिना किसी वारंट घर की तलाशी ले सकते हैं।
- किसी को भी हिरासत में लिया जा सकता है।
- सुरक्षा बलों को कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा मिलती है।
- केवल केंद्र की मंजूरी के बाद ही कार्रवाई हो सकती है।
- यदि कोई व्यक्ति अशांति फैलाता है। बार-बार कानून तोड़ता है तो मृत्यु तक बल का प्रयोग किया जा सकता है।
- सशस्त्र बलों को अंदेशा हो कि विद्रोही या उपद्रवी किसी घर या अन्य बिल्डिंग में छिपे हैं (जहां से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो) तो उसे तबाह किया जा सकता है।
- वाहन को रोक कर उसकी तलाशी ली जा सकती है।
कहां-कहां है लागू
AFSPA कानून वर्तमान में जम्मू और कश्मीर, असम, नगालैंड, मणिपुर (इंफाल म्यूनिसिपल इलाके को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के तिराप, छांगलांग और लांगडिंग जिले और असम से लगी सीमा पर लागू है। मेघालय में भी असम से लगी सीमा पर यह कानून लागू है। पंजाब और त्रिपुरा से कानून को पूरी तरह से हटाया जा चुका है।
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