Chargesheet against DHFL Former CMD Kapil Wadhawan: बैंक धोखाधड़ी केस में सीबीआई ने डीएचएफएल के पूर्व सीएमडी कपिल वधावन समेत 75 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। इन लोगों पर 34,615 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड का मामला दर्ज है। आरोपपत्र में तत्कालीन निदेशक धीरज वधावन और पूर्व सीईओ हर्षिल मेहता को भी इस बड़े घोटाले में आरोपी बनाया है। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने 34,615 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में शनिवार को 75 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है।
देश का सबसे बड़ा बैंकिंग लोन फ्रॉड
डीएचएफएल बैंक फ्रॉड देश का सबसे बड़ा बैंकिंग लोन फ्रॉड है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह के साथ कथित तौर पर 34,615 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के लिए साजिश रची गयी थी। बैंक ने 11 फरवरी 2022 को मामला दर्ज कराया था। बैंक का आरोप है कि कंपनी ने 2010 और 2018 के बीच कंसोर्टियम से एक एग्रीमेंट के अंतर्गत 42,871 करोड़ रुपये का लोन लिया था। लेकिन, मई 2019 के बाद से पेमेंट नहीं मिल रहा था। उसके बाद यह मामला दर्ज कराया गया है।आरोप है कि डीएचएफएल के पूर्व शीर्ष अधिकारियों कपिल वधावन, दीपक वधावन और अन्य ने कथित तौर पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 बैंकों के एक संघ को डीएचएफएल की फर्जी खाता बही में 34,615 करोड़ बैंक ऋण देकर धोखा दिया। फिर उन्होंने फर्जी संस्थाओं को नकली खुदरा ऋण देकर
डीएचएफएल में सार्वजनिक धन की चोरी करने के लिए कथित तौर पर शेल कंपनियों और एक समानांतर अकाउंटिंग सिस्टम, जिसे बांद्रा बुक्स के रूप में जाना जाता है, का इस्तेमाल किया। इसी के आधार पर CBI ने कार्रवाई की थी। जांच एजेंसी ने पहले दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (DHFL) के तत्कालीन चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कपिल वधावन, निदेशक धीरज वधावन और रियल्टी क्षेत्र की छह कंपनियों पर केस दर्ज किया। इसके बाद जांच को आगे बढ़ाया तो कई और नाम सामने आए। सीबीआई ने स्पेशल कोर्ट में 75 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।
क्या है आरोप पत्र में…
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कपिल वधावन समेत 18 लोगों व 57 कंपनियों को लिस्टेड किया हैं। इन्हीं आरोपियों के माध्यम से धन का लेन देन किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि आरोप पत्र में एक अधिवक्ता अजय वजीरानी, व्यवसायी अजय नवंदर, कई चार्टर्ड अकाउंटेंट, डीएचएफएल के पूर्व अधिकारियों और अन्य संबंधित कंपनियों को नामजद किया गया है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि खाता बही की जांच से पता चला है कि डीएचएफएल प्रमोटरों के साथ समानता रखने वाली 66 संस्थाओं को 29,100 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था जिसमें से 29,849 करोड़ रुपये बकाया थे। ऐसी संस्थाओं और व्यक्तियों के अधिकांश लेन-देन भूमि और संपत्तियों में निवेश की प्रकृति के थे।
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