
पुलिस और कानून के शिकंजे में आने से बचने के लिए अपराधी हर वो उपाय अमल में लाता है, जो उसे अपने मुफीद महसूस होता है. इस उम्मीद में कि हो न हो वो हर हाल में खाकी वर्दी और कानून की आंखों में धूल झोंककर बच जाएगा. ऐसा मगर होता कभी नहीं है. एक न एक दिन वो आ ही जाता है कि शातिर से शातिर अपराधी पुलिस और कानून के शिकंजे में फंस जाए. ऐसी ही कहानी है, यूपी के बुलंदशहर निवासी बदमाश दानिश अली की. जिसने पुलिस-कानून की आंखों में धूल झोंकने के लिए खुद को दानिश अली से ‘हारम अली’ तक बना डाला. इस झूठ के सहारे वे कुछ महीने तो कानून से बच भी लिया. अंतत: पकड़ा गया और उसकी भी मंजिल अब जेल ही होगी.
दरअसल, दानिश अली के ‘हारम अली’ बनने की कहानी शुरू हुई थी. 5 दिसंबर को बीते साल यानी 2021 में. जब उसने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में, हाजी यूनुस के काफिले के ऊपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी थीं. उस सिलसिले में बुलंदशहर कोतवाली देहात में हत्या और हत्या की कोशिश तक बाकी तमाम कानून की संगीन धाराओं में मुकदमा कायम हुआ था. जब तमाम प्रयासों के बाद भी दानिश पुलिस के हाथ नहीं लगा तो, उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार का इनाम घोषित कर दिया गया. इनाम घोषित होते ही उसके पीछे राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) भी हाथ धोकर पीछे पड़ गई. सोमवार रात इन तमाम तथ्यों की पुष्टि टीवी9 भारतवर्ष से उत्तर प्रदेश पुलिस एसटीएफ प्रमुख और अपर पुलिस महानिदेशक अमिताभ यश ने की.
बुलंदशहर में घटी खूनी घटना
अमिताभ यश ने आगे कहा कि दानिश अली मूल रूप से बुलंदशहर के कसाईवाडा, मिर्ची टोला ऊपरकोट थाना कोतवाली नगर का रहने वाला है. सोमवार (10 अक्टूबर 2022) को जब उसे कोतवाली देहात जिला बुलंदशहर में गिरफ्तार किया गया, तब उसके कब्जे से एक होंडा सिटी कार और हारम अली नाम के कुछ कागजात भी जब्त किए गए. इन जब्त कागजातों में पासपोर्ट, आधार कार्ड. पैन नंबर. ड्राइविंग लाइसेंस भी शामिल है.” यहां बताना जरूरी है कि बुलंदशहर में घटी उस खूनी घटना के बाद 16 दिसंबर 2021 को एसटीएफ ने अंकित उर्फ अरविंद पोसवाल निवासी, माधोगढ़ खानपुर जिला बुलंदशहर को गिरफ्तार कर लिया था. उसके कब्जे से 02 Glock Pistol भी मिली थीं. 9 अक्टूबर 2022 यानी रविवार को एसटीएफ को पता चला कि दानिश अली, लखनऊ के थाना दुबग्गा क्षेत्र में हरम ऊर्फ हारम अली के नाम से छिपकर रह रहा है.
लिहाजा सोमवार को उसे लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया गया. दानिश के पिता हाजी अलीम बुलंदशहर से दो बार विधायक रह चुके हैं. दानिश, हाजी अलीम का बड़ा बेटा है. दानिश के तीन भाई अनस, जैद और असद भी हैं. सन् 2013 में हाजी अलीम की दूसरी बीवी की दिल्ली के थाना-वेलकम इलाके में संदिग्ध हालातों में मौत हो गई. उस मामले में दानिश अपने भाई अनस के साथ 4 साल के लिए जेल गया. दोनो भाई जेल से निकल कर बाहर आए तो उसके कुछ दिन बाद ही उसके पिता हाजी अलीम की सिर में संदिग्ध हालातों में गोली लगने से मौत हो गई. पिता की मौत के मामले में कोतवाली (शहर, बुलंदशहर) में दर्ज मामले में भी हाजी अलीम का बेटा और दानिश का छोटा भाई अनस ही गिरफ्तार करके जेल भेजा गया. वो अभी तक बुलंदशहर जेल में ही कैद है.
दी थी 50 लाख रुपए की सुपारी
हाजी अलीम के बेटों दानिश और अनस को शक था कि उसके पिता की सिर में गोली मारकर हत्या, हाजी यूनुस के इशारे पर की गई थी. लिहाजा, दोनों भाइयों ने 50 लाख रुपए की सुपारी देकर पिता के संदिग्ध कातिल हाजी यूनुस को ठिकाने लगवाने का षड्यंत्र रच डाला. यह सुपारी दी थी हारिश और लाखन को. हाजी यूनुस के काफिले पर हमले से दो दिन पहले ही, दानिश अली, हारिश और लाखन खुद भारत से दुबई चले गए. वे 1 जून 2022 को दुबई से भारत लौटे.
जांच में पता चला है कि दानिश अली ने साल 2020 में लखनऊ में किसी सलीम नाम के एजेंट के जरिए फर्जी आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड तैयार करवा लिए थे. यह सभी हरम अली पुत्र इस्तीफा खान निवासी नूर नदीम प्लाजा सीतापुर रोड, निकट मोहविला पुर, अलीगंज, लखनऊ के पते पर बनाए गए थे. उसके बाद जुलाई अगस्त में इसी साल वो इसी फर्जी पासपोर्ट से अरब देश की यात्रा भी कर आया. फिलहाल दानिश के खिलाफ अब फर्जी दस्तावेज बनवाने का मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है.
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