
मेरठ: कृषि कानून वापसी, क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को फिर से वापसी दिला पाएगी
मेरठ: कृषि कानून वापसी, क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को फिर से वापसी दिला पाएगी
Farm law Repeal Updates: मोदी सरकार ने आज सुबह आखिरकार तीनों कृषि कानूनों (all three agricultural laws) को वापस लेने का ऐलान कर ही दिया। केंद्र सरकार (Central Government) ने भले ही मजबूरी में ही यह फैसला लिया, मगर इस फैसले को एक तरह से देखा जाए तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने अपने खिलाफ हवा के रुख को मोड़ने की कोशिश की है।
दरअसल, कृषि कानूनों की वजह से किसान आंदोलन (Kisan Andolan) ने भाजपा की सिरदर्दी बढ़ा रखी थी। पश्चिम उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा खतरा महसूस हो रहा था, क्योंकि यहां किसान आंदोलन का सबसे अधिक असर दिख रहा है। भाजपा के नेता यहां से खदेड़े जा रहे थे। ऐसे समय में कानून वापसी (return law) से यहां भाजपा जाटलैंड और किसानों के बीच फिर से पैठ बनाने की कोशिश करेगी।
आरएलडी के साथ सपा ने किया चुनाव लड़ने का एलान
भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के खिलाफ किसानों के विरोध को देखते हुए ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने किसानों की पार्टी कही जाने वाली आरएलडी (RLD) संग चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उम्मीद थी कि भाजपा (BJP) की नाराजगी का असर सपा गठबंधन को होगा और जाट से लेकर कई जातियों का वोट सपा में ट्रांसफर होगा, मगर ऐन वक्त पर पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने कृषि कानूनों को वापस लेकर पासा पलट दिया है।
विपक्षी पार्टियां हो गई थी बीजेपी पर हमलावर
यही नही जिस तरह से विपक्षी पार्टियां (opposition parties) कृषि कानूनों और किसान आंदोलन का फायदा उठा कर अब तक भाजपा और मोदी सरकार पर हमलावर थी। और भाजपा और सरकार बैकफुट पर (government on the back foot) नजर आ रही थी। एक साल से दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान डटे थे, सड़के बंद थीं। कृषि कानूनों को निरस्त कर एक ही झटके में पीएम मोदी ने विपक्षी दलों व किसान आंदोलन (Kisan Andolan) की एक तरह से धार कुंद कर दी है। विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) से ठीक पहले पीएम मोदी के इस ऐलान के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि समूचे उत्तर प्रदेश में भाजपा की राह जरूर आसान होगी।
कानून वापसी के बाद परिस्थितियां बदलने की उम्मीद
उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) होने हैं। यहां किसान आंदोलन की वजह से भाजपा को सबसे अधिक नुकसान होने की संभावना थी। क्योंकि विपक्षी पार्टियां कृषि कानूनों को आधार बना लगातार भाजपा पर हमला कर रही थीं। मगर कानूनों की वापसी के बाद अब परिस्थितियां बदलने की उम्मीद हो गई हैं। भाजपाइयों को तो मानों संजीवनी मिल गई है,जो कि अभी तक ग्रामीण इलाकों में जाने से पहले कई बार सोचते थे। अू वें इसी कानून वापसी के फैसले को लेकर किसानों के बीच जाने की योजना बनाने में जुट गये हैं। अब आगे देखने वाली बात यही होगी कि कृषि कानून वापसी का फैसला क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की फिर से वापसी कर पाएगा।
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