बांदा। बुंदेलखंड के खेत और पेट की प्यास बुझाने वाली जिस केन-बेतवा लिंक परियोजना को आठ वर्ष में पूरा हो जाना था, उसे केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने में 16 वर्ष लग गए। लागत भी छह गुना से ज्यादा बढ़ गई। वर्ष 2005 में परियोजना की कुल लागत 7615 करोड़ आंकी गई थी। अब यह बढ़कर 45 हजार करोड़ रुपये हो गई है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में डेढ़ दशक की लेटलतीफी तब हुई जबकि केंद्र सहित यूपी और एमपी में भाजपा की सरकारें हैं।
नौ दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को मंजूरी दे दी। इस परियोजना से ही केंद्र सरकार की मौजूदा घर-घर और खेत-खेत पानी योजना जुड़ी हुई है। अटल बिहारी के प्रधानमंत्रित्व काल में वर्ष 2005 में देश की 30 नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना बनी थी। इसमें बुंदेलखंड की प्रमुख नदी केन और बेतवा को जोड़ना भी शामिल है। वर्ष 2008 में राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण ने इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की थी। लेकिन नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर पेंच फंस गया था। यूपी और एमपी के बीच इस मुद्दे पर विवाद चलता रहा। अंततः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप और उन्हीं की अध्यक्षता में इसी वर्ष 22 मार्च को यूपी-एमपी के मुख्यमंत्रियों की वर्चुअल बैठक में सहमति बनी और दोनों मुख्यमंत्रियों ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पर और जल्दी फैसला लिया जाना चाहिए था। जल बंटवारे का विवाद खत्म होने के बाद भी केंद्रीय कैबिनेट को इस परियोजना को हरी झंडी देने में नौ माह बीत गए।
10.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल को मिलेगा पानी
बांदा। सरकारी दावों के मुताबिक केन-बेतवा लिंक से यूपी-एमपी के बुंदेलखंड में करीब साढ़े 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। साथ ही तकरीबन 62 लाख लोगों की प्यास बुझेगी। यूपी के बुंदेलखंड के महोबा, हमीरपुर, झांसी और ललितपुर में 21 लाख मिलियन क्यूबिक पेयजल, जबकि बांदा, झांसी, महोबा, हमीरपुर और ललितपुर में 2.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई का पानी मिलेगा। मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दतिया, दमोह, सागर आदि जिलों को भी लाभ मिलेगा।
90 फीसदी केंद्र और 10 फीसदी यूपी-एमपी करेंगे खर्च
केन-बेतवा लिंक परियोजना पर आने वाले खर्च का 90 फीसदी पैसा केंद्र सरकार देगी। शेष 10 फीसदी में दोनों राज्य यूपी और एमपी पांच-पांच फीसदी पैसा लगाएंगे। नहर और बांध निर्माण के अलावा भूमि अधिग्रहण, प्रतिपूरक वनीकरण के लिए गैर वन भूमि की तलाश, उजाड़े जा रहे जनजातीय परिवारों के स्थापन व पुनर्वास आदि मध्य प्रदेश को करना है।
220 किमी लंबी नहर से जुड़ेंगी केन-बेतवा
केन-बेतवा लिंक परियोजना में दौधन बांध बनाकर 220 किलोमीटर लंबी पक्की केनाल नहर बनाकर केन का अतिरिक्त पानी बेतवा में ले जाया जाएगा। दौधन बांध का डूब क्षेत्र करीब 9000 हेक्टेयर होगा। बांध का अधिकांश भाग पन्ना रिजर्व टाइगर के कोर क्षेत्र में है। दौधन बांध की लंबाई 1233 मीटर और ऊंचाई 72 मीटर है। बेतवा नदी में 78 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा।
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