
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता इन्द्रेश कुमार ने रविवार को कहा कि भारत में 99 फीसदी मुसलमान अपने पूर्वजों, संस्कृति, परंपराओं और मातृभूमि के लिहाज से हिंदुस्तानी हैं. उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा व्यक्त किए गए उस विचार का भी समर्थन किया कि भारतीयों के पूर्वज एक ही थे, इसलिए उनका डीएनए समान है. इंद्रेश कुमार ठाणे में आयोजित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ताओं की दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे.
आरएसएस नेता कुमार के हवाले से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है, हमें पवित्र कुरान के निर्देशों और सिद्धांतों के अनुसार, अपने राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य को सर्वोच्च और अन्य सभी चीजों से ऊपर मानना चाहिए. प्रेस रिलीज के मुताबिक, कुमार ने संगठन प्रमुख मोहन भागवत के भारतीयों का समान डीएनए वाले बयान का हवाला देते हुए कहा, डी का अर्थ है ड्रीम यानी सपने, जो हम रोज देखते हैं, एन मूल राष्ट्र को दर्शाता है और ए पूर्वजों का प्रतिनिधित्व करता है.
कार्यशाला में महिला कार्यकर्ताओं सहित राज्य भर के 40 से अधिक स्थानों से कुल 250 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. इस अवसर पर एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक इरफान अली पीरजादे और विराग पचपोर सहित संगठन के अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे. पचपोर ने 2002 में अपनी स्थापना के बाद से एमआरएम की दो दशक लंबी यात्रा को याद किया और तीन तलाक, जम्मू और कश्मीर, अयोध्या, गोहत्या, आतंकवाद जैसे अन्य मुद्दों पर इसकी गतिविधियों, कार्यक्रमों और अभियानों के बारे में बात की.
सभी भारतीयों का डीएनए एक- भागवत
जुलाई 2021 में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा ही आयोजित एक कार्यक्रम में संगठन प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए एक हैं. उन्होंने कहा था कि पूजा के आधार पर अलग नहीं किया जा सकता है. उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता की अवधारणा को भ्रामक बताया था और कहा था कि दोनों समुदायों में कोई मतभेद नहीं है, इसलिए इस तरह की अवधारणा ठीक नहीं है.
40,000 वर्षों से हम एक ही पूर्वज के वंशज- भागवत
उन्होंने कहा था कि हिंदुओं या मुसलमानों में किसी का भी डोमिनेंस नहीं हो सकता है, सिर्फ भारतीया का डोमिनेंस हो सकता है. आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि “यह साबित हो गया है कि हम पिछले 40,000 वर्षों से एक ही पूर्वजों के वंशज हैं. भारत के लोगों का डीएनए एक जैसा है.’ उन्होंने कहा कि राजनीति लोगों को एक नहीं कर सकती. उन्होंने कहा था कि राजनीति लोगों को जोड़ने का जरिया नहीं बन सकती है लेकिन एकता को तोड़ने का हथियार जरूर बन सकती है.
(भाषा इनपुट के साथ)
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