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बढ़ती महंगाई और महामारी की तीसरी लहर के असर से सुस्त हुई जीडीपी ग्रोथ: एक्सपर्ट

impact of pandemic

वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत के निचले स्तर पर रहने की मुख्य वजह महामारी (Covid) की तीसरी लहर और कमोडिटी के दामों में तेजी है. विशेषज्ञों ने यह बात कही है. मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी-मार्च 2022 तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रही जो कि पूरे वित्त वर्ष में सबसे कम है. वहीं वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि 8.7 प्रतिशत रही है. ये भी पिछले 8.9 प्रतिशत के अनुमान से कम रही है. दिसंबर तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ(GDP Growth) 5.4 प्रतिशत थी. जानकारों की माने तो ये दोनो फैक्टर दुनिया भर के देशों पर असर डाल रहे हैं और भारत की अर्थव्यवस्था (Economy) दुनिया भर के कई देशों के मुकाबले काफी बेहतर है.

क्या है एक्सपर्ट की राय

सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी का अस्थायी अनुमान कोविड-पूर्व के स्तर से अधिक है जो आर्थिक रिकवरी पूरा हो जाने की बात स्थापित करता है’. उन्होंने यह भी कहा किभारत के लिये आर्थिक वृद्धि दर में नरमी के साथ ऊंची मुद्रास्फीति का जोखिम नहीं है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है. रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर कम रहना अपरिहार्य था क्योंकि उसी समय कोविड की तीसरी लहर आने से संपर्क-आधारित सेवाएं बाधित हुईं और कमोडिटी के दाम भी बढ़ गए थे. इसके अलावा आधार प्रभाव के प्रतिकूल नहीं रहने का भी असर पड़ा. नायर ने कहा कि चौथी तिमाही में आश्चर्यजनक रूप से सेवा क्षेत्र ने 3.9 प्रतिशत जीवीए वृद्धि के साथ सबसे अहम भूमिका निभाई. इसके अलावा सार्वजनिक खर्च बढ़ने से लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाओं में वृद्धि तेज रही.

महंगाई का असर सभी पर, भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार के मुताबिक, वास्तविक जीडीपी एवं मौजूदा मूल्य पर जीडीपी के बीच के फर्क से पता चलता है कि मुद्रास्फीति एक स्थायी समस्या रही है और अर्थव्यवस्था लंबे समय से बढ़ती कीमतों की चुनौती से जूझ रही है. मजूमदार ने कहा, ‘भारत समेत तमाम उभरते बाजारों से वैश्विक निवेशकों ने पूंजी की निकासी की. इससे मुद्रा के मूल्य में गिरावट आई और आयात बिल बढ़ गया.कोलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (भारत) रमेश नायर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2020-21 में आई 6.6 प्रतिशत की गिरावट से उबरते हुए शानदार वापसी की है. उन्होंने कहा, ‘यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था अब महामारी के चंगुल से निकल चुकी है और पुनरुद्धार की राह पर है. ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि एनएसओ की तरफ से जारी जीडीपी आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं कि सभी खंडों का प्रदर्शन महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच चुका है. हालांकि चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक परिदृश्य धुंधला ही नजर आ रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि रूस-यूक्रेन संकट की वजह से कच्चा तेल फिर से 120 डॉलर प्रति बैरल की तरफ जा रहा है

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